बरेली, 27 जुलाई . कांवड़ यात्रा मार्ग पर यूपी सरकार के नेमप्लेट वाले आदेश पर सुप्रीम कोर्ट रोक लगा चुकी है. इस पर बरेली के इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा की प्रतिक्रिया सामने आई है.
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है, वह बिल्कुल दुरुस्त है. मैं उस फैसले का स्वागत करता हूं. सरकार का यह फैसला मुसलमानों को नुकसान पहुंचाने के इरादे से किया गया था.
से खास बातचीत में उन्होंने कहा, ”मुख्य बात यह है कि नाम लिखने के पीछे मकसद क्या है ? सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश पर पाबंदी लगा दी, लेकिन हमारा जो नजरिया है, वह यह है कि हम चीजों को सकारात्मक और नकारात्मक दोनों दृष्टि से देखते हैं. सरकार के किस फैसले से समाज और देश का क्या नुकसान हो सकता है ? या किस फैसले से हमारा फायदा हो सकता है ? ये चीजें देखना हमारी जिम्मेदारी है. मैंने यह महसूस किया कि यह जो फैसला आया, वह मुसलमानों को नुकसान पहुंचाने के इरादे से किया गया था. अदालत ने इस बात को महसूस किया और इस फैसले को रद्द कर दिया.”
उन्होंने आगे कहा, ”मेरा मानना है कि मजहबी तौर पर मुसलमानों ने अपनी शिनाख्त नहीं छुपाई होती. मुसलमान एक मुसलमान जैसा नजर आना चाहिए. उन्हें अपनी पहचान, शक्ल और तरीका छिपाने की जरूरत नहीं है. जो मुसलमान कारोबार की वजह से या डर की वजह से अपनी पहचान छिपा रहा है, मैं समझता हूं कि उसमें ईमान की कमजोरी है.”
”मैं यह देखना चाहता हूं कि जिन मुसलमानों ने योगी जी के फैसले के बाद अपनी दुकानों और उद्योगों पर नाम लिखना शुरू कर दिया, कोर्ट के फैसले के बाद वो लोग अपनी दुकानों और उद्योगों पर अपना नाम लिखते हैं या नहीं ? अगर लिखते हैं तो इसका मतलब यह हुआ कि वह लोग किसी डर या दबाव में नहीं छिपा रहे हैं. मुसलमानों को खुद को छिपाना नहीं चाहिए, बल्कि फक्र के साथ कहना चाहिए कि वह मुसलमान हैं और हम हिंदुस्तानी हैं. तब काम चलेगा.”
उन्होंने आगे कहा, ”कोई व्यक्ति अगर ठेले पर फल बेच रहा है तो क्या वह ठेले पर अपना नाम लिखेगा ? मैं तो कहता हूं कि प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी ब्लड बैंकों को यह आदेश दें कि जो भी व्यक्ति खून दे, उस पाउच पर लिखा होना चाहिए कि वह हिंदू या मुसलमान का खून है. वह किस धर्म का है? किस जाति का है? जब खून देकर एक दूसरे की जान बचाने का काम कर रहे हैं, तब ठीक है.”
तौकीर रजा ने इस मामले पर भाजपा की सहयोगी दलों के विरोध पर भी अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि ”यह सीएम योगी की मजबूरी है, क्योंकि दिल्ली में उनके खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है. हमारे देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि जो व्यक्ति खुद को मुस्लिम का दुश्मन साबित कर दे, वही बड़ा नेता माना जाता है. उनकी जब दिल्ली से लगाम कसी गई तो उन्होंने खुद को हिंदुओं का सबसे बड़ा नेता साबित करने के लिए मुसलमानों पर लगाम कसना शुरू कर दिया.”
बता दें कि योगी सरकार के नेमप्लेट वाले आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है. इस संबध में उत्तर प्रदेश को नोटिस भी जारी किया गया था. सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए सर्वोच्च अदालत में अपना जवाब दाखिल किया है, जिसमें कहा गया कि कांवड़ यात्रा के शांतिपूर्ण संचालन के लिए कांवड़ मार्ग पर होटल, ढाबा और दुकानदारों को नेमप्लेट लगाने का आदेश दिया गया था.
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एसएम/