नई दिल्ली, 22 जून . भारत की औपचारिक अर्थव्यवस्था में सात साल के दौरान 26 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है. वहीं, दूसरी तरफ अनौपचारिक अर्थव्यवस्था की हिस्सेदारी में गिरावट दर्ज की गई है. अनौपचारिक अर्थव्यवस्था पिछले सात साल के दौरान 25.9 प्रतिशत से घटकर 23.7 प्रतिशत रह गई है. इस मामले पर ने अर्थशास्त्री सुनील गर्ग से खास बातचीत की.
भारत की औपचारिक अर्थव्यवस्था में 26 लाख करोड़ रुपये के इजाफे पर सुनील गर्ग ने कहा कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले सात साल में 26 लाख करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है. इसका मतलब है कि हम लोग इनफॉर्मल इकोनॉमी से फॉर्मल इकोनॉमी की तरफ बढ़ रहे हैं. पिछले चार-पांच दशक पहले देश में कहा जाता था कि हमारे देश में ब्लैक पैरेलल इकोनॉमी है, लेकिन अब जो आंकड़ा आ रहा है उससे यह पता चला है कि इनफॉर्मल इकोनॉमिक 26 प्रतिशत से घटकर 23 प्रतिशत के करीब आ गई है. इसका मतलब है कि हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि आने वाले समय में फॉर्मल इकोनॉमी का सफर और ज्यादा होगा. इससे जीडीपी में बड़ा योगदान मिलेगा. जीएसटी की वजह से एक व्यवस्था बनी उससे बहुत सारे लोगों को फॉर्मल इकोनॉमी में आने का मौका मिला, लेकिन इस रिपोर्ट में एक कंसेंट भी नजर आता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी भी 45 प्रतिशत लेबर फोर्स इनफॉर्मल सेक्टर में है, इसका मतलब यह है कि सरकार को एक कार्यक्रम तैयार करना पड़ेगा ताकि अनइंप्लॉयमेंट इनफॉर्मल सेक्टर को बढ़ाया जाए. सरकार शायद इस पर विचार भी कर रही है. ताकि ईपीएफओ में आंकड़ा बढ़े और लोग इसमें रजिस्टर करवाएं. मुझे लगता है कि आंकड़े उत्साहवर्धक हैं, अच्छे हैं और सरकार को एक दिशा दे रहे हैं कि सरकार को इस तरह बढ़ना चाहिए.
अनौपचारिक अर्थव्यवस्था की हिस्सेदारी पिछले 7 साल के दौरान 25.9 प्रतिशत से घटकर 23.7 प्रतिशत हो गई, इस पर उन्होंने कहा कि तीन प्रतिशत इकोनॉमी फॉर्मल हो गई. हमारी इकोनॉमी का साइज चार ट्रिलियन के आसपास है, यानी 300 लाख करोड़ का है. 26 लाख करोड़ की इकोनॉमी शिफ्ट कर ली गई है, इसका मतलब है कि अब सरकार को इन आंकड़ों के मद्देनजर फॉर्मलाइजेशन बढ़ाना बहुत जरूरी है, ताकि औपचारिक जीपीडी और फॉर्मल इकोनॉमी बढ़े.
उन्होंने कहा कि अब हम पांचवी अर्थव्यवस्था से निकलकर आगे बढ़ रहे हैं. मुझे लगता है कि हम फॉर्मल इकोनॉमी की तरफ बढ़ रहे हैं और आपको इससे ज्यादा ग्रोथ मिलता है, क्योंकि इसका मल्टीप्लाई रिफ्लेक्ट होता है. एक सेक्टर की तरफ जब हम आगे बढ़ते हैं और तो सरकार को टैक्स कलेक्शन ज्यादा आता है और सरकार उस सेक्टर में ज्यादा इन्वेस्टमेंट करती है.
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पीएसके/जीकेटी