देश संविधान से चलता है, कुरान और गीता से नहीं : भाजपा नेता जुगल किशोर

लखनऊ, 10 जुलाई . सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं के हक में एक बड़ा फैसला सुनाया है. अब सीआरपीसी की धारा 125 के तहत मुस्लिम महिला तलाक के बाद अपने पति से गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है. कोर्ट के इस फैसले के बाद राजनीति भी शुरू हो गई है. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पर भाजपा हमला कर रही है. वहीं सपा के नेता भी पलटवार कर रहे हैं.

भाजपा प्रवक्ता जुगल किशोर ने कहा कि देश संविधान से चलता है, कुरान और गीता से नहीं. संविधान के तहत देश के हर नागरिक को समान अधिकार है. कांग्रेस और दूसरे दलों के लोग जो खुद को सेकुलर समझते हैं और कहते हैं शरीयत में ये नही है वो नही है. अब सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है कि मुस्लिम महिलाएं संवैधानिक हक पाने की अधिकारी हैं.

वहीं समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरूल हसन चांद ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि पहले भी मुस्लिम महिलाओं की ओर से गुजारा भत्ते के लिए कोर्ट में रोज याचिका डाली जाती रही है. अब सुप्रीम कोर्ट का इस मामले पर निर्णय आ चुका है. इससे तलाकशुदा महिलाओं को राहत मिलेगी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का आदेश हर समाज की माता-बहनों के लिए हो तो ज्यादा बेहतर है. उन सभी महिलाओं को गुजारा भत्ता मिलना चाहिए जो तलाकशुदा हैं. या किसी और कारणों से वो घर पर हैं और उन्हें छोड़ दिया गया है.

समाजवादी पार्टी समझती है कि ऐसी सभी महिलाओं को गुजारा भत्ता मिलना चाहिए. हम समझते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का यह उचित फैसला है. भाजपा पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि उनके पास सिर्फ हिंदू-मुसलमान के मुद्दे हैं. वो सिर्फ इस पर ही चर्चा कराना चाहते हैं. वो तीन तलाक पर बात करते हैं, लेकिन दूसरे धर्म की जो बहनें हैं उनके मुद्दों पर बात नहीं करते. यह भाजपा की नीति है. इस पर हमें कोई टिप्पणी नहीं करनी है. देश की सबसे बड़ी अदालत का फैसला जब तीन तलाक पर आया था तो उसे भी सबने स्वीकार किया था. संविधान से बड़ा कुछ नहीं है.

बता दें कि तेलंगाना के एक मुस्लिम व्यक्ति ने अपनी तलाकशुदा पत्नी को भत्ते के रूप में 10,000 रुपये देने के हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाया.

जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 सभी धर्म की महिलाओं पर लागू होती है. इसलिए उन्हें गुजारा भत्ता लेने के लिए याचिका दाखिल करने का अधिकार है.

एसएम/