नई दिल्ली, 17 जुलाई . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट का सबको बेसब्री से इंतजार है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को संसद में बजट पेश करने वाली हैं. हर साल की तरह इस बार भी बजट पर सबकी निगाहें टिकी हुई है.
बजट के मुख्य क्षेत्रों में से एक स्वास्थ्य सेवाओं में छूट पर लोगों की खास नजर रहती है. आगामी बजट से पहले हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर समीर भाटी ने बताया कि कोरोना के बाद हेल्थ को लेकर उम्मीदें ज्यादा बढ़ गई है. भारत में डायबिटीज, हार्ट अटैक और कैंसर के मामले हर दिन बढ़ रहे हैं, जिसके चलते इसके रोकथाम के लिए आने वाले बजट में विशेष ध्यान देने की जरूरत है.
खासकर बुजुर्गों के लिए एक विशेष स्वास्थ्य बीमा योजना लाने की जरूरत है. उसके लिए अलग से बजट पास किया जाए. आयुष्मान योजना के तहत अगर उनको बीमा दायरे में लाया जाए तो बेहतर रहेगा. बीमा आईपीडी सर्विस के अंदर आता है, अगर इसे ओपीडी सर्विस के अंदर किया जाए तो बुजुर्गों को काफी फायदा होगा. डायग्नोस्टिक सर्विस को स्वास्थ्य बीमा में शामिल करके हम लाइफस्टाइल से संबंधित बीमारियों को कम कर सकते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि भारत में उपचार के लिए मेडिकल उपकरण विदेशों से लाए जाते हैं. अगर इसका निर्माण भारत में हो तो इससे हमें बहुत फायदा मिलेगा. साथ ही कोरोना महामारी के दौरान डिजिटल हेल्थ की भूमिका रही, जिसमें टेली कंसल्टेशन ने बहुत अच्छा काम किया.
शहरों की तरह गांव में भी स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल होना चाहिए. टेली कंसल्टेशन को बढ़ावा मिलना चाहिए, इसलिए केंद्र सरकार को हेल्थ डिजिलाइजेशन के लिए स्पेशल बजट पास करना चाहिए.
वहीं इनर व्हील क्लब की नेशनल सेक्रेटरी डॉक्टर उर्वशी मित्तल ने कहा कि बजट को लेकर महिलाओं को काफी अपेक्षा है. इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को महिलाओं को लेकर कुछ खास प्रावधान करने चाहिए. ताकि उनकी जिंदगी बेहतर और आसान बन सके.
नौकरी करने वाली महिलाओं की सेहत अच्छी रहना बेहद जरूरी है. अगर वो स्वस्थ रहेंगी तो परिवार की भी सेहत बेहतर रहेगी. इसलिए महिलाओं को सभी नौकरियों में मैटरनिटी छुट्टी का प्रावधान होना चाहिए. साथ ही सर्वाइकल कैंसर वैक्सीनेशन पर ध्यान दिया जाए. सरकार इस दिशा में कदम भी बढ़ा चुकी है, जो महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है.
उन्होंने आगे कहा कि हमारे देश के स्टार्टअप में महिला उधमियों की संख्या काफी कम है. कुछ ऐसी योजना बनाई जाए ताकि, वो भी आसानी से लोन लेकर अपना व्यापार शुरू कर सके. बच्चों को एक ही तरह की शिक्षा दी जाए. साथ ही सरकार कुछ ऐसी योजनाएं लाए जिससे ट्रांसजेंडर को भी मुख्य धारा में जोड़ा जा सके.
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एसएम/जीकेटी