धूमधाम से सम्पन्न हुआ पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के नए मुखिया महंत रामनौमी दास का पट्टाभिषेक

प्रयागराज, 16 दिसंबर (आईएनएस). कुंभ-महाकुंभ में नए मुखिया महंत महामंडलेश्वर के पट्टाभिषेक की परंपरा के तहत पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के पश्चिम पंघत के रामनौमी दास का पट्टाभिषेक बड़े धूमधाम के साथ किया गया. पट्टाभिषेक के बाद महंत अखाड़े की सामाजिक गतिविधियों को संचालित करते हैं. इसमें संस्कृत विद्यालय, गौशाला का संचालन, मतांतरण रोकने की मुहिम चलाना, निशुल्क स्वास्थ्य शिविर लगवाना, गरीबों की बेटियों का विवाह कराना, अन्न क्षेत्र (भंडारा) का संचालन करना शामिल है.

इस अवसर पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने से बात करते हुए कहा, “हमारे यहां यह परंपरा है कि जो पंच के अनुकूल होता है, उसकी ही नियुक्ति होती है. इसी तरह नए महंत की नियुक्ति की गई है. हमारे यहां जो पंच होते हैं, जितने भी साधु-संत, महात्मा हैं, बड़े अखाड़े में चार मुखिया महंत होते हैं. पिछले कुछ दिनों से विवाद जारी था, उसमें चार मुखिया में से एक को हटाया गया था. उनकी जगह पर आज रामनौमी दास को नियुक्त किया गया है. इस पर हमारा समाज काफी खुश हैं. वह बहुत ही अच्छे और सबको लेकर चलने वाले महंत हैं.”

इस नियुक्ति की प्रक्रिया पर बात करते हुए रवींद्र पुरी ने कहा, “हमारे यहां पंच द्वारा प्रस्ताव पारित करने का नियम है. प्रस्ताव होने के बाद नियुक्ति होती है. नियुक्ति होने के बाद हमारे यहां विधि विधान से हवन आदि होता है, पूजा होती है. उसके बाद चादर विधि होती है और फिर राज अभिषेक होता है. इसके बाद उनको बाद में जो कार्य होगा उसका चार्ज दिया जाता है.”

श्री पंचायती अखाड़ा उदासीन निर्माण के महंत और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद प्रवक्ता दुर्गा दास ने से बात करते हुए कहा, “हम लोग अनुष्ठान को पावन पर्व के रूप में मनाते हैं. यह जब चार दिशाओं से किसी भी अंदर रिक्त होता है तो उसको हम लोग पूर्ति करके और महान पर्व के रूप में मनाते हैं. वही कार्यक्रम आज यहां चल रहा है. पट्टाभिषेक में सभी 13 अखाड़ों के संत आमंत्रित होते हैं और इसे पर्व की तरह से बड़े खास तरीके से मनाया जाता है. यह हमारे लिए इतिहास का विषय भी होता है. रामनौमी दास बाल्यावस्था से संत हैं और संत समाज में उनका खास सम्मान है.”

वहीं, नए मुखिया महंत महामंडलेश्वर रामनौमी दास ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “आज पंच परमेश्वर ने मुझे जिस सेवा के लिए नियुक्त किया है, उसके लिए मैं इनका धन्यवाद अदा करता हूं. संत के तौर पर हमारी प्राथमिकता अपने अखाड़े की मर्यादा और उसके कार्यों को आगे बढ़ाने की होगी.”

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