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ढाका, 18 नवंबर . बांग्लादेश के सियासी ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य सेवाएं भी बेहाल हैं. डेंगू से मौतों का सिलसिला रुक नहीं रहा. Monday से Tuesday सुबह के बीच मात्र 24 घंटे में 4 और लोगों ने दम तोड़ दिया. इस तरह 2025 में मच्छर जनित बीमारी से मरने वालों की तादाद अब 343 हो गई है.
यूनाइटेड न्यूज ऑफ बांग्लादेश (यूएनबी) ने स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) के हवाले से बताया कि इसी दौर में 920 से ज्यादा मरीजों को वायरल फीवर की शिकायत पर अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इसके साथ ही डेंगू मरीजों की कुल संख्या 86,924 हो गई है.
डीजीएचएस के अनुसार, ढाका नॉर्थ सिटी कॉर्पोरेशन (डीएनसीसी) में 211, ढाका साउथ सिटी कॉर्पोरेशन में 151, ढाका डिवीजन में 147, बारिशाल डिवीजन में 146, चटगांव डिवीजन में 116, खुलना डिवीजन में 72, मय्यमनसिंह डिवीजन में 65, सिलहट डिवीजन में 10 और रंगपुर डिवीजन में 2 नए मामले रिपोर्ट हुए.
2024 में डेंगू के कारण 575 लोगों की जान चली गई थी, जबकि 2023 में 1,705 लोग इसका शिकार हुए थे.
9 अक्टूबर को, डीजीएचएस के महानिदेशक अबू जाफर ने बताया कि 2025 में डेंगू के मामलों की संख्या पिछले साल की तुलना में ज्यादा है; हालांकि, मृत्यु दर कम है.
यूएनबी ने बताया. स्वास्थ्य मंत्रालय में ‘टाइफाइड टीकाकरण अभियान-2025’ पर आयोजित एक प्रेस वार्ता में अबू जाफर ने कहा था, “इस साल, डेंगू संक्रमण की संख्या पिछले साल की तुलना में ज्यादा है, लेकिन संक्रमण के अनुपात में मृत्यु दर कम है.”
उन्होंने डेंगू की रोकथाम के लिए मच्छरों के प्रजनन और उनके लार्वा को नष्ट करने को महत्वपूर्ण बताया था.
डेंगू को लेकर तो नसीहतों का दौर चल ही रहा है लेकिन इसके अलावा भी देश कई स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों को लेकर उदासीन बना बैठा है.
हाल ही में बांग्लादेश सांख्यिकी ब्यूरो (बीबीएस) और यूनिसेफ की ओर से संयुक्त रूप से जारी मल्टीपल इंडिकेटर क्लस्टर सर्वे 2025 (एमआईसीएस 2025) में इसकी छवि मिली.
सर्वे के अनुसार, बांग्लादेश बाल श्रम, विषाक्त सीसे के संपर्क (शरीर पर पड़ने वाले असर), कुपोषण और दूषित जल का दंश झेल रहा है.
ढाका ट्रिब्यून के अनुसार इस सर्वेक्षण में लगभग 63,000 परिवारों को कवर किया गया, जो दर्शाता है कि 2019 में जितने बच्चे थे उनसे 12 लाख ज्यादा मासूम बाल मजदूरी कर रहे हैं और 12-59 महीने की आयु के लगभग दस में से चार बच्चों के रक्त में सीसा अब खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है.
पहली बार, एमआईसीएस सर्वेक्षण में भारी धातुओं के लिए रक्त के नमूनों का परीक्षण किया गया. नतीजे एक पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की ओर इशारा करते हैं. इसमें पता चला कि 12-59 महीने की उम्र के 38 फीसदी बच्चे और 8 फीसदी गर्भवती महिलाओं में सीसे की मात्रा सुरक्षित सीमा से कहीं ज्यादा थी.
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केआर/