रांची, 30 जनवरी . सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड में 26 हजार सहायक आचार्यों (सहायक शिक्षकों) की नियुक्ति परीक्षा में सीटेट (सेंट्रल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) और दूसरे राज्यों की टेट (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को सम्मिलित करने का झारखंड हाईकोर्ट का फैसला रद्द कर दिया है.
शीर्ष अदालत के फैसले के अनुसार, इस परीक्षा में अब केवल झारखंड टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (जेटेट) उत्तीर्ण अभ्यर्थी शामिल हो सकेंगे. जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा (जेटेट) उत्तीर्ण अभ्यर्थियों परिमल कुमार एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया.
शीर्ष अदालत ने पूर्व में मामले की सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका लगाने वाले प्रार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण और अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने पक्ष रखते हुए कहा था कि झारखंड टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (जेटेट) उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को राज्य की क्षेत्रीय भाषाओं संथाली, खोरठा, नागपुरी आदि का ज्ञान है, क्योंकि उन्होंने इन पत्रों की परीक्षा पास की है.
दूसरी तरफ सीटेट (सेंट्रल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) अभ्यर्थियों के पास ऐसी क्षेत्रीय भाषाओं का ज्ञान नहीं है. उनकी नियुक्ति जब झारखंड के प्राइमरी स्कूलों में होगी तो उन्हें राज्य की क्षेत्रीय भाषा में बच्चों को शिक्षा देने में परेशानी होगी और इसके साथ ही यह राइट टू एजुकेशन के प्रावधानों का उल्लंघन होगा.
इसके पहले दिसंबर 2023 में झारखंड हाईकोर्ट ने झारखंड सीटेट उत्तीर्ण अभ्यर्थी संघ की याचिका पर सुनवाई के बाद आदेश दिया था कि दूसरे राज्यों की टेट (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) या सीटेट (सेंट्रल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) पास अभ्यर्थी भी इस नियुक्ति परीक्षा में शामिल हो सकेंगे.
हाईकोर्ट के इस फैसले को चुनौती देने वाले एसएलपी पर सुनवाई करते हुए अप्रैल 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार और झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) को आदेश दिया था कि उसकी अनुमति के बिना इस नियुक्ति परीक्षा का रिजल्ट नहीं प्रकाशित करें.
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एसएनसी/एबीएम