संघ का उद्देश्य आत्म-प्रचार नहीं, राष्ट्र का सशक्तीकरण और गौरव है : अरुण कुमार

jaipur, 2 अक्टूबर . Rajasthan के हरमाड़ा नगर में हेडगेवार बस्ती में आयोजित समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह-Government्यवाह अरुण कुमार ने विजयादशमी को एक त्योहार से कहीं बढ़कर बताया.

उन्होंने इसे आस्था, विश्वास और धार्मिकता का प्रतीक बताया और कहा कि यह इस बात की याद दिलाता है कि अंततः सत्य और न्याय की अन्याय पर विजय होती है.

उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी ताकत इसकी निरंतरता में निहित है. जहां कई अन्य सभ्यताएं इतिहास से लुप्त हो गई हैं, वहीं भारतीय संस्कृति बार-बार विपरीत परिस्थितियों से ऊपर उठती रही है.

उन्होंने जोर देकर कहा कि यह दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती भी है. गांधीजी ने स्वतंत्रता संग्राम को स्वराज, स्वधर्म और स्वदेशी के मूल्यों से जोड़ा और रामराज्य तथा ग्राम स्वशासन की कल्पना की. जबकि, शास्त्री जी का जीवन सादगी, ईमानदारी और निडर नेतृत्व का उदाहरण रहा.

अरुण कुमार ने संघ के शताब्दी वर्ष का उल्लेख करते हुए कहा कि यह केवल उत्सव का ही नहीं, बल्कि आत्मनिरीक्षण, आत्मविश्लेषण और संकल्प का भी समय है.

उन्होंने स्वयंसेवकों और नागरिकों से संघ की 100 वर्षों की यात्रा और आगे आने वाली जिम्मेदारियों पर चिंतन करने का आग्रह किया.

अरुण कुमार ने इस बात पर बल दिया कि संघ का उद्देश्य आत्म-प्रचार नहीं, बल्कि राष्ट्र का सशक्तीकरण और गौरव है. उन्होंने बताया कि संघ का मार्ग धर्म, संस्कृति और समाज के संरक्षण में निहित है, और इसकी नींव एक सुसंस्कृत, संगठित और आत्मविश्वासी समाज पर है.

उन्होंने हेडगेवार के दृष्टिकोण को याद किया, जो स्वतंत्रता से आगे बढ़कर मौलिक सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए था और इस बात पर जोर दिया कि एक मजबूत समाज ही एक मजबूत राष्ट्र की नींव होता है.

मोहित/एबीएम