1993 के अमेरिकी दौरे ने पीएम मोदी के ग्लोबल विजन को दिया था आकार

नई दिल्ली, 21 सितंबर . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को क्वाड लीडर्स समिट और संयुक्त राष्ट्र के ‘भविष्य के शिखर सम्मेलन’ में भाग लेने के लिए अमेरिका की तीन दिवसीय यात्रा पर रवाना हो गए. इस दौरान उनके अमेरिका के साथ लंबे समय से चले आ रहे संबंधों को उजागर किया गया.

मोदी आर्काइव ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट किया. जिसमें कहा, “लगभग 30 साल पहले (1993 में) गर्मियों में अमेरिकी विदेश विभाग और अमेरिकन काउंसिल ऑफ यंग पॉलिटिकल लीडर्स ने वाशिंगटन डीसी से शुरू होने वाले एक विशेष कार्यक्रम में एक युवा भारतीय राजनेता को आमंत्रित किया था. नरेंद्र मोदी युवावस्था से ही भारत और दुनिया को बेहतर तरीके से समझने की इच्छा से प्रेरित थे.

वह जहां भी गए, वहां की अच्छी बातें सीखते थे और उन्हें भारत में लागू करने की कोशिश करते थे.”

पोस्ट आगे कहता है, “नरेंद्र मोदी ने 10 जुलाई 1993 को अमेरिका में शिक्षा और अनुभव प्राप्त करने के लिए यात्रा की थी. नरेंद्र मोदी उस समय गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ता थे.”

नरेंद्र मोदी ने 10 जुलाई से 23 जुलाई के बीच अमेरिका की यात्रा की थी, जिसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण बैठकें कीं. ये बैठकें अमेरिकी राज्य विभाग द्वारा आयोजित की गई थीं, जिसमें राजनीतिक नेताओं, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों, अमेरिकी नीति निर्माताओं और व्यापार उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा हुई. इस यात्रा के दौरान, नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राजनीति, विदेश नीति, और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए प्रमुख कांग्रेसजनों, सीनेटर्स, राज्यपालों और महापौरों से मुलाकात की थी. यह यात्रा नरेंद्र मोदी के लिए बहुत महत्वपूर्ण थी, क्योंकि वह उस समय राजनीति में नए थे और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के बारे में जानने को उत्सुक थे.

उनके यात्रा कार्यक्रम में महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थल भी शामिल थे. जैसे कि पेंटागन सिटी, एंड्रयूज एयर फोर्स बेस, माउंट रशमोर, बैडलैंड्स नेशनल पार्क और क्रेजी हॉर्स मेमोरियल माउंटेन आदि.

ह्यूस्टन में नरेंद्र मोदी ने ह्यूस्टन मेडिकल सेंटर का दौरा किया था (जो विश्व के सबसे बड़े मेडिकल सेंटरों में से एक है) तथा उन्होंने नासा के स्पेस सेंटर ह्यूस्टन का भी दौरा किया, जिससे तकनीकी प्रगति और नवाचार के बारे में उनकी समझ और व्यापक हुई.

दक्षिण डकोटा में मूल अमेरिकियों के साथ एक बैठक से उन्हें स्वदेशी संस्कृतियों की गहरी समझ हासिल करने का अवसर मिला था.

नरेंद्र मोदी ने अक्सर स्वीकार किया है कि इस यात्रा ने उनकी राजनीतिक सोच को आकार देने में मदद की और उन्हें बहुमूल्य सबक सीखने का अवसर दिया, जिसका उन्होंने बाद में गुजरात के मुख्यमंत्री और अंततः भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उपयोग किया.

स प्रारंभिक संपर्क ने अमेरिका के साथ ही पश्चिमी देशों के साथ उनके स्थायी जुड़ाव का मंच तैयार किया, एक ऐसा वैश्विक मंच जो समय के साथ और गहरा हो रहा है.

एफजेड/केआर