आतंकी वित्तपोषण मामला : सुप्रीम कोर्ट का अलगाववादी नेता शब्बीर शाह को अंतरिम जमानत देने से इनकार

New Delhi, 4 सितंबर . Supreme court ने Thursday को कथित आतंकवाद वित्तपोषण मामले में कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह को अंतरिम जमानत पर तत्काल रिहा करने का आदेश देने से इनकार कर दिया.

हालांकि, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने शाह द्वारा जमानत की मांग करते हुए दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की राय मांगी है. शब्बीर अहमद शाह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने मांग कि थी कि शाह “बेहद बीमार” हैं, उन्हें अंतरिम ज़मानत पर रिहा किया जाना चाहिए.

इससे पहले, दिल्ली उच्च न्यायालय ने शाह की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि एक गैरकानूनी संगठन के अध्यक्ष के रूप में, वह इसी तरह की गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल नहीं होंगे और सबूतों से छेड़छाड़ करने या उन गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास कर सकते हैं, जिनकी अभी जांच होनी बाकी है.

न्यायमूर्ति शैलेंद्र कौर और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने मुकदमे में देरी के आधार पर जमानत पर रिहाई की याचिका खारिज करते हुए कहा. “हालांकि अपीलकर्ता (शाह) पांच साल से हिरासत में है, लेकिन आरोप पहले ही तय हो चुके हैं और मुकदमा चल रहा है. अभियोजन पक्ष की ओर से गवाहों से पूछताछ न करने में कोई देरी नहीं हुई है.” इसके अलावा, न्यायमूर्ति कौर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि शाह के खिलाफ गंभीर आरोपों और संबंधित मुद्दों की संवेदनशीलता और गंभीरता को देखते हुए, घर में नज़रबंदी की उनकी वैकल्पिक याचिका पर विचार करने का कोई सवाल ही नहीं उठता.

शाह को जून 2019 में गिरफ्तार किया गया था और उस पर जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आरोप है. उन पर मृत आतंकवादियों के परिवारों को ‘सम्मानित’ करने, हवाला लेनदेन के माध्यम से धन प्राप्त करने और विध्वंसक एवं आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने के लिए नियंत्रण रेखा व्यापार के माध्यम से धन जुटाने का भी आरोप है.

एनआईए ने दावा किया है कि कश्मीर को अस्थिर करने और Government of India के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए धन जुटाने की साजिश रचने के आरोपी कई लोग इसमें शामिल थे. शाह का नाम एनआईए द्वारा 4 अक्टूबर, 2019 को दायर दूसरे पूरक आरोपपत्र में शामिल किया गया था.

एसके/जीकेटी