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हैदराबाद, 12 सितंबर . तेलंगाना के Chief Minister रेवंत रेड्डी ने कमांड कंट्रोल सेंटर में अधिकारियों के साथ गोदावरी पुष्करालु की तैयारियों और आगामी तमाम योजनाओं की समीक्षा की.
इस दौरान मंत्री कोंडा सुरेखा, Chief Minister सलाहकार वेम नरेंद्र रेड्डी, Chief Minister के प्रधान सचिव श्रीनिवास राजू, धर्मस्व विभाग की प्रधान सचिव शैलजा रामयार और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे.
Chief Minister रेवंत रेड्डी ने गोदावरी पुष्करालु के स्थायी आयोजन की व्यवस्था के संबंध में कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए.
Chief Minister ने सुझाव दिया कि मंदिर-केंद्रित घाटों के विकास को प्राथमिकता दी जाए. गोदावरी जलग्रहण क्षेत्र के प्रसिद्ध मंदिरों को प्राथमिकता देते हुए स्थायी घाटों के निर्माण के लिए कदम उठाए जाएं.
Chief Minister रेवंत रेड्डी बसारा से भद्राचलम तक गोदावरी जलग्रहण क्षेत्र के मंदिरों का क्षेत्रीय स्तर पर दौरा करेंगे और उपयुक्त मंदिरों का चयन करेंगे. Chief Minister ने अधिकारियों को बसारा, कालेश्वरम, धर्मपुरी, भद्राचलम और अन्य प्रसिद्ध मंदिरों का दौरा कर उनकी सूची तैयार करने के निर्देश दिए.
Chief Minister रेवंत रेड्डी ने सुझाव दिया कि गोदावरी जलग्रहण क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्गों के पास और राज्य के भीतर राष्ट्रीय राजमार्गों पर स्थित मंदिरों को अधिक प्राथमिकता दी जाए. सीएम रेड्डी ने मौजूदा घाटों के विस्तार और सड़कों व अन्य सुविधाओं पर स्थायी रूप से काम शुरू करने की योजनाएं तैयार करने का आदेश दिया.
गोदावरी पुष्करालु के दौरान, लगभग 2 लाख लोग स्नान के लिए आते हैं. Chief Minister रेड्डी की सोच घाटों का विकास करने की है, ताकि स्नान करना आसान हो.
Chief Minister रेड्डी ने यह भी सुझाव दिया कि सड़कों, राजमार्गों, वाहन पार्किंग, पेयजल और अन्य सुविधाओं की योजना इस प्रकार बनाई जानी चाहिए कि यदि एक ही दिन में दो लाख श्रद्धालु भी एकत्रित हों, तो भी किसी को किसी प्रकार की दिक्कत न हो. उन्होंने कहा कि केंद्रीय योजनाओं के साथ समन्वय करके स्वच्छ India और जल जीवन मिशन जैसी योजनाओं के माध्यम से अग्रिम व्यवस्थाएं की जानी चाहिए. Chief Minister स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार प्रत्येक मंदिर के लिए अलग-अलग घाट डिजाइन तैयार करना चाहते हैं. उन्होंने सुझाव दिया है कि पर्यटन विभाग, सिंचाई विभाग और धर्मस्व विभाग समन्वय से काम करें.
आपको बता दें, नदियों की पूजा को समर्पित त्योहार ‘पुष्करालु’ हर 12 साल में एक बार मनाया जाता है.
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एकेएस/जीकेटी