New Delhi, 24 जुलाई . बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के विधानसभा चुनाव को बायकॉट करने के संकेत पर सियासी पारा चढ़ गया है. बिहार के पूर्णिया से निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने तेजस्वी यादव के बयान पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ेगी तो सभी सदस्य इस्तीफा देंगे.
निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने से बातचीत में कहा, “तेजस्वी यादव विपक्ष के नेता हैं और वे इस पर (एसआईआर) सभी से बात करेंगे. हमारे लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण सर्वोच्च न्यायालय और सदन है. सदन सर्वोच्च है और यहीं से संविधान बनता है. जब कभी कोई संविधान के ऊपर हो जाए तो फिर सदन में उस पर चर्चा होगी. मैं मानता हूं कि कोई भी सुपर पावर इस देश में सदन से ऊपर नहीं है. अगर जरूरत पड़ेगी तो सभी लोग इस्तीफा देंगे और फिर इस मुद्दे पर बात होगी.”
टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने तेजस्वी यादव के बयान पर कहा, “चुनाव आयोग एक राजनीतिक संस्था बन गया है. भाजपा जिस-जिस को बोलेगी, उसे ही वोटर लिस्ट में रखा जाएगा और जिसे मंजूर नहीं किया जाएगा, उसका नाम हटा दिया जाएगा. इसलिए वे संसद में हमारे मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं कर रहे हैं.”
भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, “विपक्ष, खासकर कांग्रेस पार्टी, सदन को चलने नहीं दे रही है. वे बाहर आकर कहते हैं कि उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा, लेकिन संसद के अंदर राहुल गांधी चर्चा में हिस्सा नहीं ले रहे हैं. वे मतदाता सूची के संशोधन से क्यों भाग रहे हैं? हम चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन विपक्ष इससे बचता है. ऐसा लगता है कि वे जनता के वोटों से डरे हुए हैं.”
कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने तेजस्वी यादव के बयान पर कहा, “अगर चुनाव लूट लेना है और पहले ही सबकुछ तय हो जाना है तो चुनाव लड़कर भी कोई क्या करेगा? मैं मानता हूं कि लोकतंत्र की हत्या हो रही है और चुनाव आयोग को होश में आना चाहिए. अगर वे सरकार की कठपुतली बनकर चलेंगे तो देश में लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं बचेगी.”
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने से बातचीत में कहा, “एसआईआर लोकतंत्र की बुनियाद में सेंध लगा रहा है. हर बार बुनियादी चुनावी सुधारों में संशोधन किया गया है, नए लोगों को केवल अपना पहचान प्रमाण दिखाने की आवश्यकता होती है. जदयू सांसद गिरधारी यादव ने भी दावा किया कि उन्हें सभी दस्तावेज इकट्ठा करने में काफी समय लगा है, इसलिए आम लोगों की स्थिति पर विचार करना चाहिए.”
तेजस्वी यादव के बिहार विधानसभा चुनाव को बायकॉट करने वाले बयान पर भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने कहा, “तेजस्वी यादव ने चुनाव बहिष्कार का बयान दिया है. इसके दो अर्थ हैं: पहला यह है कि उन्होंने स्वीकार कर लिया है कि वह चुनाव हार रहे हैं या फिर इस पर बड़ी राजनीति है. मुझे लगता है कि उन्हें हार के बड़े संकेत दिख रहे हैं और इसलिए वे इस प्रक्रिया से पहले ही बाहर हो जाना चाहते हैं.”
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की राज्यसभा सांसद महुआ माजी ने तेजस्वी यादव के बयान का जिक्र करते हुए कहा, “बिहार में जो कुछ हो रहा है, उसे लेकर तेजस्वी यादव की चिंता स्वाभाविक है. जब पत्रकार इन मुद्दों को उजागर करते हैं और उनके खिलाफ First Information Report दर्ज की जाती है, तो इससे पता चलता है कि सिस्टम में कहीं न कहीं कुछ अव्यवस्था है. अगर उन्होंने इस तरह की चिंता व्यक्त की है तो हो सकता है कि आने वाले दिनों में पूरा विपक्ष उनका साथ दे. मुझे लगता है कि विपक्ष को एकजुट रहना चाहिए.”
भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने कहा, “तेजस्वी यादव का ‘तेज’ समाप्त हो गया है. अब उनके राजनीतिक अंधकार का दौर शुरू हो गया है. अब तक वह अपने पिता के नाम पर जी रहे थे, लेकिन अब उन्हें एहसास हो गया है कि बिहार की जनता विकास चाहती है.”
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