नई दिल्ली, 4 जुलाई . भारतीय क्रिकेट टीम ने रोहित शर्मा की कप्तानी में टी20 विश्व कप में अजेय रहकर चैम्पियन बनने की मिसाल पहली बार कायम की है. भारत ने पहली बार टी20 विश्व कप महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में जीता था. तब यह प्रतियोगिता काफी हल्के-फुल्के माहौल में खेली गई थी. टी20 क्रिकेट तब अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में बिल्कुल नया था और 2007 का विश्व कप इस प्रारूप में पहली बार खेला जा रहा था. वहीं, 2024 का विश्व कप आते-आते टी20 प्रारूप बेहद प्रतिद्वंद्वी बन चुका है.
कई मायने में रोहित शर्मा की जीत 2007 की जीत की तुलना में काफी खास रही. 2024 तक आते-आते दुनिया में इतनी प्रोफेशनल टी20 लीग खेली जाने लगी हैं कि ये प्रारूप पूरी तरह बदल गया है. 2007 में भारत पर ये विश्व कप जीतने का इतना दबाव नहीं था क्योंकि टी20 को बहुत गंभीरता से नहीं लिया जाता था. खिलाड़ी खुद खास दबाव में नहीं थे लेकिन प्रतियोगिता का अंत आते-आते यह समझ में आ चुका था कि टी20 का रोमांच अपने चरम को छूने की शुरुआत कर चुका है.
2024 तक टी20 विश्व कप में टीमों के बीच की प्रतिद्वंद्विता को इसी बात से समझा जा सकता है कि पाकिस्तान, न्यूजीलैंड, श्रीलंका जैसी बड़ी टीमें सुपर-8 में भी नहीं पहुंच सकी. वहीं दूसरी ओर पहली बार टी20 वर्ल्ड कप खेल रही अमेरिका की टीम ने पाकिस्तान को मात देकर इतिहास रच दिया. अफगानिस्तान की टीम ने तो सुपर-8 में ऑस्ट्रेलिया जैसी चैम्पियन टीम को हराने के बाद सेमीफाइनल में जगह बनाई. इस पृष्ठभूमि में भारतीय टीम का अजेय रहना बहुत खास रहा.
कप्तानी के स्तर पर भी ये बहुत खास जीत रही क्योंकि धोनी जहां 26 साल की उम्र में भारत को टी20 खिताब दिलाने वाले सबसे युवा कप्तान थे तो रोहित शर्मा 37 साल की उम्र में ये कप जीतने वाले सबसे उम्रदराज कप्तान बन गए. ये रोहित शर्मा का अंतिम विश्व कप भी था और कप्तानी की साख भी दांव पर थी. इससे पहले भारतीय टीम 2009, 2010 और 2012 में सुपर-8 तक पहुंची लेकिन आगे नहीं बढ़ सकी.
इतना ही नहीं, भारतीय उपमहाद्वीप की चिर-परिचित परिस्थितियों में भी टीम इंडिया 2014 और 2016 के टी20 विश्व कप में क्रमशः फाइनल और सेमीफाइनल तक पहुंचने के बावजूद खाली हाथ रह गई. 2021 के टी20 विश्व कप में भी भारत मेजबान होने के बावजूद सुपर-12 तक ही पहुंच पाया. 2022 में परिस्थितियां और भी विकट थी. न्यूयॉर्क में भारतीय टीम ने अपने मुकाबले ऐसी ड्रॉप-इन पिच पर खेले जो बल्लेबाजों के लिए बहुत खराब साबित हुई. वेस्टइंडीज की पिचों पर भी धीमापन देखने के लिए मिला. ऐसे में जब भारतीय बल्लेबाजी अपने शिखर पर नहीं दिखी तो गेंदबाजी ने जसप्रीत बुमराह की अगुवाई में कमाल का प्रदर्शन किया.
इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रोहित शर्मा की जबरदस्त पारी और फाइनल में विराट कोहली का प्रदर्शन एक बार फिर साबित कर गया कि टीम प्रबंधन ने इन पुराने खिलाड़ियों पर नए प्रारूप में दांव लगाकर गलत नहीं किया था. फाइनल में जीत के बाद रोहित शर्मा, विराट कोहली और रवींद्र जडेजा जैसे दिग्गजों के संन्यास ने इस जीत को और भी यादगार बना दिया है.
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एएस/आरआर