टीडीपी ने जनता से चंदा मांगा, वेबसाइट लॉन्च की

अमरावती, 9 अप्रैल . अगले महीने होने वाले चुनाव से पहले तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने मंगलवार को सार्वजनिक चंदा हासिल करने के लिए एक वेबसाइट लॉन्च की.

टीडीपी अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने ‘TDPforAndhra.com’ वेबसाइट लॉन्च की और पार्टी के समर्थकों से ऑनलाइन दान करने की अपील की.

99,999 रुपये का पहला दान देने वाले नायडू ने कहा कि एनआरआई वेबसाइट के जरिए भी दान कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि टीडीपी को हर दो साल में सदस्यता राशि मिलती है.

उन्होंने कहा, “हम उस पैसे को शुभचिंतकों द्वारा दिए गए पैसे के साथ खर्च कर रहे हैं. अन्य राजनीतिक दलों के विपरीत हम अवैध धन स्वीकार नहीं कर रहे हैं. वाईएसआरसीपी ने ऑनलाइन जुए से बॉन्‍ड के जरिए 160 करोड़ रुपये जुटाए. वे नैतिकता और मूल्यों की बात करते हैं, लेकिन जुआरियों से पैसे लेते हैं.”

नायडू ने कहा, “टीडीपी हमेशा लोगों पर निर्भर रही है. टीडीपी की नीतियों से कई लोगों को फायदा हुआ है. लोगों को आगे आना चाहिए और अपनी संभावित क्षमता के अनुसार पार्टी की मदद करनी चाहिए. मैं लोगों से हमारे द्वारा लागू की गई नीतियों का उपयोग करने के बाद अपने अनुभव व उन्हें मिले लाभों के बारे में बात करने के लिए कह रहा हूं.“

टीडीपी प्रमुख ने कहा कि लोगों को पार्टी को आर्थिक रूप से भी योगदान देना चाहिए, चाहे वह 100 रुपये, 1,000 रुपये या जो भी वे चाहें.

उन्होंने कहा, “पार्टी को दान देने के बाद लोगों को एक रसीद दी जाएगी. लोग पार्टी की पुस्तकों और खातों में दाता होंगे और उन्हें सम्मानित किया जाएगा. हमने पार्टी को दान देने के लिए एनआरआई के लिए सभी सावधानियां और अनुमतियां ली हैं. हम उनके दान का सत्यापन करेंगे और यदि वे पात्र हैं तो हम उन्हें स्वीकार करेंगे.”

उन्होंने बताया कि टीडीपी का इतिहास 42 साल पुराना है. इसने लोगों के जीवन को बदलने के लिए लगातार नए विचारों के साथ काम किया.

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केवल अमीरों और जमींदारों को ही नहीं, बल्कि शिक्षित और ईमानदार लोगों को भी राजनीति में आना चाहिए.

उन्होंने याद दिलाया कि 1982 में टीडीपी ने पिछड़े वर्गों के लिए सामाजिक न्याय सुनिश्चित किया था. इसने राजनीति में बिना किसी पूर्व अनुभव वाले शिक्षित लोगों को विधायक और सांसद बना दिया.

उन्होंने कहा कि राजनेताओं को भी मूल्य आधारित होना चाहिए.

नायडू ने कहा कि एक समय था, जब तेलुगू लोगों का कोई महत्व नहीं था.

उन्होंने कहा, “उन्हें मद्रासी कहा जाता था. टीडीपी ने वहीं से शुरुआत की और दुनिया को तेलुगू लोगों के स्वाभिमान से परिचित कराया. सार्वजनिक नीतियों व तकनीक के जरिए हम लोगों के जीवन में बदलाव ला सकते हैं.”

नायडू ने कहा, “हम उनसे कहते थे कि नौकरी करने के बजाय उन्हें प्रोडक्ट भी इनोवेशन करने चाहिए. हमने यह भी कहा कि उन्हें सिर्फ नौकरी नहीं करनी चाहिए, बल्कि दूसरों को नौकरी देनी चाहिए. हमने 20 साल पहले उन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्लाउड मैनेजमेंट, डेटा सेंटर और डेटा साइंस के बारे में बताया था.”

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