टाटा मोटर्स ने भारतीय सड़कों पर हाइड्रोजन ट्रक का पहला ट्रायल किया शुरू

नई दिल्ली, 4 मार्च . देश की सबसे बड़ी वाणिज्यिक वाहन निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स ने जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए देश के हरित अभियान के अनुरूप भारतीय सड़कों पर हाइड्रोजन से चलने वाले भारी-भरकम ट्रकों का पहला ट्रायल शुरू किया है.

यह ऐतिहासिक ट्रायल सस्टेनेबल लंबी दूरी के माल परिवहन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इस ट्रायल को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रहलाद जोशी ने हरी झंडी दिखाई.

ट्रायल का यह चरण 24 महीने तक चलेगा और इसमें अलग-अलग कॉन्फिगरेशन और पेलोड क्षमताओं वाले 16 एडवांस्ड हाइड्रोजन से चलने वाले वाहनों की लाना शामिल है.

नए युग के हाइड्रोजन आंतरिक दहन इंजन (एच2-आईसीई) और ईंधन सेल (एच2-एफसीईवी) तकनीकों से लैस इन ट्रकों का ट्रायल भारत के सबसे प्रमुख मालवाहक मार्गों पर किया जाएगा, जिनमें मुंबई, पुणे, दिल्ली-एनसीआर, सूरत, वडोदरा, जमशेदपुर और कलिंगनगर शामिल हैं.

इस ट्रायल के लिए टाटा मोटर्स को टेंडर दिया गया था, जिसे राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित किया जाता है.

ऑटो प्रमुख ने कहा, “इस अग्रणी पहल के माध्यम से, टाटा मोटर्स सस्टेनेबल मोबिलिटी सॉल्यूशन में आगे बने रहते हुए भारत के व्यापक हरित ऊर्जा लक्ष्यों के साथ अपने कमिटमेंट को जोड़ता है.

ट्रायल को हरी झंडी दिखाते हुए, गडकरी ने कहा, “हाइड्रोजन भविष्य का ईंधन है, जिसमें उत्सर्जन को कम करके और ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ाकर भारत के परिवहन क्षेत्र को बदलने की अपार क्षमता है. इस तरह की पहल भारी-भरकम ट्रकिंग में सस्टेनेबल मोबिलिटी में बदलाव को गति प्रदान करेगी और हमें एक कुशल, कम कार्बन वाले भविष्य के करीब ले जाएगी.”

नितिन गडकरी ने कहा कि ने प्रदूषण एक बड़ी चिंता है.

उन्होंने कहा, “मुझे यहां मौजूद लोगों को प्रदूषण के बारे में समझाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि दिल्ली में हम जिस तरह से वायु प्रदूषण की समस्या का सामना कर रहे हैं, आप सभी इसका अनुभव ले रहे हैं. इसलिए हमारी नीतियां आयात विकल्प, लागत प्रभावी, प्रदूषण मुक्त और स्वदेशी हैं.”

प्रहलाद जोशी ने कहा, “भारत के सस्टेनेबल और जीरो कार्बन भविष्य में बदलाव के लिए हाइड्रोजन एक महत्वपूर्ण ईंधन है. इस ट्रायल की शुरुआत भारत के परिवहन क्षेत्र को कार्बन मुक्त बनाने में हरित हाइड्रोजन की क्षमता को प्रदर्शित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.”

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