चेन्नई, 26 सितंबर . तमिलनाडु के नीलगिरी जिले के चेरामबडी गांव में गुरुवार तड़के एक जंगली हाथी ने एक व्यक्ति को कुचलकर मार डाला.
मृतक की पहचान उसी गांव के कुन्हिमोइदीन के रूप में हुई है. वन विभाग के अधिकारियों ने को बताया कि यह घटना रात दो बजे की है.
अधिकारियों ने बताया कि कुन्हिमोइदीन पेड़ की टहनी गिरने की आवाज सुनकर अपने घर से बाहर निकले तो उन्होंने देखा कि उनके सामने एक जंगली हाथी खड़ा है. इससे पहले कि वह कुछ कर पाते, हाथी ने उन पर हमला कर दिया. आक्रोशित स्थानीय लोगों ने ऊटी-बाथेरी राज्य राजमार्ग को जाम कर दिया
स्थानीय किसान अब्दुल गफूर ने को बताया कि उन्हें नियमित रूप से हाथियों और अन्य जंगली जानवरों के हमलों का सामना करना पड़ रहा है. जानवर कृषि फार्मों को नष्ट कर रहे हैं. उन्होंने नियमित हमलों के बारे में वन विभाग के अधिकारियों से शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.
जहां घटना हुई है यह क्षेत्र केरल के वायनाड और तमिलनाडु के नीलगिरी की सीमा पर स्थित है. जंगली हाथियों के मानव आवासों में घुसने के कई उदाहरण सामने आए हैं, जिसके कारण मानव और पशु संघर्ष की स्थिति पैदा हुई है.
जुलाई 2024 में वायनाड के सुल्तान बाथरी में एक किसान राजू को जंगली हाथी ने कुचलकर मार डाला था. जब वह अपने खेत से घर वापस आ रहा था, तब हाथी ने उस पर पीछे से हमला किया था. उसे तत्काल इलाज के लिए कोझिकोड के एक निजी अस्पताल में ले जाया गया था, जहां उसकी मौत हो गई थी.
तमिलनाडु में भी कई मानव-हाथी संघर्ष हुए हैं. कोयंबटूर फॉरेस्ट डिवीजन में जंगली हाथियों के हमलों में सबसे अधिक लोगों की मौतें हुई हैं. उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, कोयंबटूर फॉरेस्ट डिवीजन में 2011-2022 के बीच 147 मौतें दर्ज की गईं.
वन विभाग के अधिकारी इन मौतों का कारण हाथियों की बढ़ती आबादी, प्रवास पथों में गड़बड़ी, भूमि उपयोग पैटर्न और कृषि पद्धतियों में बदलाव तथा रैखिक बुनियादी ढांचे के विकास को मानते हैं.
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