तमिलनाडु : विधायक एसएस बालाजी ने वक्फ विधेयक का किया विरोध, कहा- इसके मूल को बदलने का प्रयास

चेन्नई, 1 अप्रैल . तमिलनाडु में वीसीके पार्टी के विधायक एसएस बालाजी ने वक्फ संशोधन विधेयक और तमिलनाडु राज्य में टोल टैक्स वृद्धि को लेकर नाराजगी जाहिर की. उन्होंने से बात करते हुए कहा कि तमिलनाडु में सभी राजनीतिक दल इस मुद्दे पर एकजुट हैं, चाहे वह सत्ताधारी डीएमके हो या विपक्षी एआईएडीएमके और उनकी पार्टी वीसीके. सभी दल इस वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ हैं.

उन्होंने कहा कि यह विधेयक वक्फ कानून में बदलाव करने का दावा करता है, लेकिन वास्तव में इस विधेयक में वक्फ एक्ट के मूल तत्वों को ही बदलने का प्रयास किया जा रहा है. एसएस बालाजी ने स्पष्ट किया कि इस विधेयक में 100 से अधिक संशोधन किए जाने हैं, जो वक्फ एक्ट के मूल कानून को बदलने जैसा है. उन्होंने कहा कि यह कदम तमिलनाडु के लोगों की भलाई के खिलाफ है, और वे उम्मीद करते हैं कि यह विधेयक संसद में रुक जाएगा.

इसके बाद, विधायक ने टोल टैक्स के मुद्दे पर भी अपनी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि टोल प्लाजा सिर्फ तमिलनाडु ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक चिंता का विषय बने हुए हैं. उन्होंने कहा कि जब कोई सड़क टोल से होकर गुजरती है, तो उसके समानांतर एक गैर-टोल सड़क भी होना चाहिए, ताकि वाहन मालिकों को कोई अतिरिक्त बोझ न उठाना पड़े, क्योंकि वे पहले ही रोड टैक्स चुका रहे होते हैं. दूसरा बिंदु यह था कि जब सड़क का निर्माण हो चुका हो और वह कुछ समय तक इस्तेमाल में रही हो, तो उसी टोल को सड़क के रखरखाव के लिए वसूलना उचित नहीं है. पहले एक नियम था, जिसके तहत 15 साल पुराने टोल रास्तों को गैर-टोल रास्ते में बदल दिया जाता था.

उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के पब्लिक वर्क्स मंत्री ने विधानसभा में कहा था कि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा है, जिसमें 15 साल पुराने टोल की समाप्ति की मांग की गई थी. लेकिन केंद्र सरकार ने जवाब दिया कि उन्हें इन सड़कों के रखरखाव के लिए पैसे की जरूरत है, और इसलिए वे टोल की वसूली जारी रखेंगे. बालाजी ने इसे लोगों के भले के खिलाफ बताते हुए कहा कि इस फैसले से न तो न्याय होता है, और न ही यह जनता के हित में है.

इसके अलावा, उन्होंने राज्य की स्वायत्तता पर भी चिंता व्यक्त की और कहा, पहले राष्ट्रीय राजमार्गों का रखरखाव राज्य सरकारों द्वारा किया जाता था. तमिलनाडु में, राज्य सरकार के राष्ट्रीय राजमार्ग यूनिट द्वारा इन सड़कों की देखभाल की जाती थी, जिसके लिए केंद्र सरकार से धन मिलता था. यह धन राज्य सरकार द्वारा वाहन कर के रूप में केंद्र सरकार को दिया जाता था, और फिर यह धन वापस राज्य सरकार को इन सड़कों के रखरखाव के लिए भेजा जाता था. बालाजी ने कहा कि अब यह व्यवस्था बदल गई है और राज्य सरकार की स्वायत्तता को नजरअंदाज किया जा रहा है, जो चिंता का विषय है.

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