चेन्नई, 9 जुलाई . मद्रास हाईकोर्ट ने चेन्नई निगम आयुक्त को कड़ी फटकार लगाते हुए सवाल किया कि क्या वह केवल आईएएस अधिकारी होने के कारण खुद को अदालत से ऊपर मानते हैं. कोर्ट ने आयुक्त को अवमानना मामले में व्यक्तिगत रूप से 10 जुलाई को पेश होने और उचित हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है.
यह मामला चेन्नई के रॉयपुरम (जोन 5) में अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई न करने से जुड़ा है, जिसमें निगम ने कोर्ट के पुराने आदेश का पालन नहीं किया.
यह मामला वकील और पूर्व पार्षद रुक्मंगथन द्वारा दायर याचिका से शुरू हुआ. उन्होंने चेन्नई निगम से जोन 5 में अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी थी. हाईकोर्ट ने दिसंबर 2021 में निगम को रॉयपुरम और अन्य जोनों में अनधिकृत निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था.
जब आदेश का पालन नहीं हुआ, तो रुक्मंगथन ने निगम आयुक्त के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश एस. वी. गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति पी. डी. औदिकेसवालु की खंडपीठ ने की. कोर्ट ने पूछा कि निगम ने कोर्ट के आदेश का पालन क्यों नहीं किया. सुनवाई के दौरान आयुक्त की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला.
कोर्ट ने आयुक्त पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया और इसे उनके वेतन से काटकर ‘अड्यार कैंसर संस्थान’ को दान करने का आदेश दिया. इसके बाद, अतिरिक्त महाधिवक्ता जे. रवींद्रन ने जुर्माने पर रोक लगाने की अपील की और माना कि प्रशासन की ओर से गलती हुई है, लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आयुक्त का कर्तव्य है कि वे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने से पहले उन्हें पढ़ें.
उन्होंने कहा कि गलत हलफनामा दाखिल करना उनकी योग्यता पर सवाल उठाता है.
कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए पूछा, “क्या आयुक्त को लगता है कि आईएएस होने के कारण वे न्यायपालिका से ऊपर हैं? क्या कोर्ट को अपना अधिकार नहीं दिखाना चाहिए?”
कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि आयुक्त अवमानना मामले की सुनवाई में क्यों नहीं आए. उन्हें 10 जुलाई को उचित हलफनामे के साथ व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया गया. जुर्माने पर अंतिम फैसला बाद में होगा.
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वीकेयू/एबीएम