तमिलनाडु : उत्तरपूर्वी मानसून के आते ही डेंगू, मलेरिया के खतरे को लेकर सार्वजनिक चेतावनी जारी

चेन्नई, 21 अक्टूबर . उत्तर-पूर्व मानसून शुरू होने के साथ ही तमिलनाडु के स्वास्थ्य विभाग ने जनता को डेंगू, मलेरिया, लेप्टोस्पायरोसिस और इंफ्लुएंजा जैसी बीमारियों के फैलने को लेकर सावधान रहने की सलाह दी है.

जनवरी 2024 से अब तक, तमिलनाडु में 18,000 डेंगू के मामले दर्ज किए गए हैं.

इस पर काबू पाने के लिए, राज्य के जनस्वास्थ्य विभाग ने लोगों से कहा है कि वे अपने घरों के आसपास रुका हुआ पानी हटा दें ताकि मच्छरों को पनपने से रोका जा सके.

स्वास्थ्य विभाग ने राज्य भर में मानसून शिविर भी शुरू किए हैं, जिनका उद्देश्य डेंगू, मलेरिया, लेप्टोस्पायरोसिस, इंफ्लुएंजा और अन्य बीमारियों के मामलों की पहचान करना है.

स्वास्थ्य मंत्री एमए सुब्रमण्यन ने को बताया कि विभाग डेंगू जैसी मच्छरजनित बीमारियों पर नजर बनाए हुए है. उन्होंने कहा कि राज्य के 10 जिलों – चेन्नई, कोयंबटूर, कृष्णागिरि, तिरुप्पूर, तिरुवल्लुवर, थेनी, मदुरै, तिरुनेलवेली, तंजावुर और तिरुचि में राज्य के कुल डेंगू मामलों का 57% हिस्सा पाया गया है. सरकार इन जिलों पर खास ध्यान दे रही है.

सार्वजनिक स्वास्थ्य और निवारक चिकित्सा के निदेशक डॉ. टी. एस. सेल्वविनयागम ने बताया कि सरकार के साथ-साथ निजी अस्पतालों में भी डेंगू और अन्य बुखार से संबंधित मामलों की निगरानी की जा रही है.

लोगों को सलाह दी गई है कि वे पुराने घरेलू सामानों में बरसात का पानी जमा न होने दें, क्योंकि यह मच्छरों के पनपने का कारण बन सकता है.

इसके अलावा, उन्होंने लोगों से उबला हुआ पानी पीने की सलाह दी है ताकि जलजनित बीमारियों से बचा जा सके.

एक कीट विशेषज्ञ डॉ. रजनी ने बताया कि बरसात के मौसम में टाइफाइड जैसी बैक्टीरियल बीमारियां भी फैल सकती हैं. उन्होंने बच्चों को केवल साफ और उबला हुआ पानी देने की सलाह दी और माता-पिता से कहा कि वे बच्चों को रुके हुए या दूषित पानी से दूर रखें, क्योंकि जानवरों के मूत्र से दूषित पानी से लेप्टोस्पायरोसिस फैल सकता है.

तमिलनाडु स्वास्थ्य विभाग ने घोषणा की है कि जिला स्वास्थ्य अधिकारी मच्छरजनित बीमारियों के बारे में जागरूकता अभियान चलाएंगे. इसके साथ ही, विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि निजी अस्पतालों में डेंगू के मामलों की सही पहचान और उपचार हो.

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