पिटबुल हमले में मौत के बाद तमिलनाडु सरकार का फैसला, 30 सितंबर तक कराना होगा रजिस्ट्रेशन

चेन्नई, 26 अगस्त . शहर में पिटबुल के हमले में 48 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत के कुछ दिनों बाद तमिलनाडु सरकार ने सभी कुत्ता पालने वालों, पालतू जानवरों की दुकानों और विक्रेताओं के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है. State government ने 30 सितंबर तक तमिलनाडु पशु कल्याण बोर्ड (टीएनएडब्ल्यूबी) में रजिस्ट्रेशन कराने का सख्त अल्टीमेटम जारी किया है.

इसके अलावा अवैध रूप से कुत्तों के प्रजनन में लगे बोर्डिंग सेंटरों को भी निर्देश का पालन करने के लिए कहा गया है.

अधिकारियों ने कहा कि टीएनएडब्ल्यूबी जल्द ही ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन (जीसीसी) के साथ मिलक संदिग्ध ब्रीडिंग एरिया में निरीक्षण करेगा ताकि पिटबुल और रोटविलर और 11 अन्य प्रतिबंधित नस्लों की जांच की जा सके.

वर्तमान में, केवल कुछ ही पालतू जानवरों की दुकानें और प्रजनन केंद्र राज्य बोर्ड के साथ पंजीकृत हैं.

टीएनएडब्ल्यूबी की सदस्य श्रुति विनोद ने चेतावनी दी है कि जो लोग रजिस्ट्रेशन नहीं कराते हैं, उन्हें 1 अक्टूबर से कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा.

बोर्ड के अनुसार, अकेले चेन्नई में ही 100 से अधिक अवैध ब्रीडिंग सेंटर हैं.

इसके अलावा, पालतू कुत्तों को सप्ताह के अंत में लगने वाले बाजारों में खुलेआम बेचा जाता है, जिससे हर महीने करोड़ों रुपए की कमाई होती है. एक पिटबुल पपी की कीमत उसकी नस्ल के आधार पर 25,000 से 1 लाख रुपए के बीच होती है.

तेजी से बढ़ते इस व्यापार के बावजूद न तो टीएनएडब्ल्यूबी और न ही जीसीसी ब्रीडिंग सेंटर्स या कुत्तों की बिक्री का उचित रिकॉर्ड रखते हैं.

श्रुति ने कहा कि जुर्माने की राशि तय की जा रही है.

उन्होंने कहा, “हम एक प्रवर्तन योजना तैयार करने के लिए नगर प्रशासन और जलापूर्ति (एमएडब्ल्यूएस) विभाग के साथ बातचीत कर रहे हैं. फिलहाल स्थानीय निकाय सीधे जुर्माना लगा सकते हैं या उल्लंघन करने वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं.”

अधिकारियों ने यह भी स्वीकार किया कि social media प्लेटफॉर्म के जरिए ऑनलाइन अवैध बिक्री तेजी से बढ़ रही है, जिससे इस पर कार्रवाई और भी मुश्किल हो गई है. पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने राज्य से कड़े कदम उठाने का आग्रह किया है.

पीपल फॉर कैटल इन इंडिया के संस्थापक अरुण प्रसन्ना ने कहा, “लोकल बॉडीज को मौके पर जाकर कार्रवाई बढ़ानी चाहिए और अवैध बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर काम करना चाहिए.”

उन्होंने कहा, “सबसे पहले, दूसरे देशों से शुद्ध नस्ल के मवेशियों के लाने पर प्रतिबंध लगाना होगा. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि स्थानीय निकायों और पुलिस को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में पहले से मौजूद प्रावधानों के आधार पर अवैध ब्रीडर्स और विक्रेताओं पर मुकदमा चलाना चाहिए. उन्होंने कहा, अधिकारियों को तुरंत पुलिस शिकायत दर्ज कराने से कोई नहीं रोक सकता.”

अधिकारियों ने कहा कि 30 सितंबर के बाद अनरजिस्टर्ड ब्रीडर्स और दुकानों पर कार्रवाई तेज हो जाएगी.

एससीएच/ विपुल