New Delhi, 16 अगस्त . हर साल भाद्रपद की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पूरे भारत में बड़ी श्रद्धा और प्रेम से मनाया जाता है. जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिरों में भजन-कीर्तन होते हैं, घरों में झूले सजते हैं और भक्त उपवास रखकर भगवान का जन्म उत्सव मनाते हैं. इस दिन लोग कान्हा की विधि-विधान से पूजा करते हैं, लेकिन अगर पूजा के साथ-साथ वास्तु शास्त्र में बताए कुछ आसान उपाय किए जाएं, तो भगवान श्रीकृष्ण जल्दी प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
वास्तु शास्त्र के मुताबिक, जन्माष्टमी के दिन सबसे पहले घर के मंदिर या पूजा स्थान को अच्छे से साफ करें. वहां गंगाजल का छिड़काव करें ताकि वातावरण पवित्र हो जाए. इसके बाद भगवान राधा-कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर को पूजा स्थान पर पश्चिम दिशा की ओर मुख करके रखें. साथ ही उनके पास लड्डू गोपाल की एक छोटी सी मूर्ति या तस्वीर भी जरूर रखें. इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और हर काम में शुभता आती है.
भगवान श्रीकृष्ण को बांसुरी बहुत प्रिय है. जन्माष्टमी के दिन आप उन्हें एक छोटी सी बांसुरी अर्पित करें. यह बांसुरी आपके जीवन में मिठास और शांति लाने का संकेत मानी जाती है. साथ ही घर की नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती है.
इस खास दिन पर तुलसी का भी बहुत महत्व है. तुलसी के बिना श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी मानी जाती है, क्योंकि तुलसी माता को भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी का रूप माना गया है. इसलिए पूजा में तुलसी दल जरूर शामिल करें. आप राधा-कृष्ण को तुलसी की माला पहना सकते हैं या उनके सामने घी का दीपक जलाकर तुलसी के पास रखें. इससे घर में मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है.
रात को ठीक 12 बजे, जब श्रीकृष्ण का जन्म माना जाता है, तब एक घी का दीपक जलाएं और शांत मन से ‘श्री कृष्णम् शरणम् मम’ मंत्र का जाप करें. यह मंत्र भगवान की कृपा पाने के लिए बहुत असरदार माना जाता है.
वास्तु शास्त्र में एक और सरल उपाय यह है कि जन्माष्टमी के दिन कदंब के पेड़ की एक छोटी सी टहनी लाकर पूजा स्थान पर रखें. कदंब का पेड़ श्रीकृष्ण को बहुत प्रिय है. मान्यता है कि इससे घर में प्रेम, सुख और सौभाग्य बना रहता है.
घर में बरकत के लिए भगवान श्रीकृष्ण को पीले रंग के कपड़े पहनाएं और पीले फूलों की माला अर्पित करें. साथ ही पंचामृत यानी दूध, दही, शहद, घी और शक्कर से अभिषेक करें और माखन-मिश्री का भोग लगाएं. यह भोग श्रीकृष्ण को बहुत पसंद है.
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पीके/केआर