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New Delhi, 29 अक्टूबर . कोरियन मार्शल आर्ट ‘ताइक्वांडो’ की उत्पत्ति और इतिहास के बारे में कई किवदंतियां प्रचलित हैं. इसे बोधिधर्म (पांचवीं से छठी शताब्दी) नामक एक भारतीय बौद्ध भिक्षु से भी जोड़कर देखा जाता है, जिनका जन्म दक्षिण India में ‘पल्लव राज्य’ के राज परिवार में हुआ था.
मान्यता है कि उन्होंने ही चीन की यात्रा करते हुए हेनान प्रांत में स्थित शाओलिन मंदिर में बौद्ध भिक्षुओं को मानसिक और शारीरिक प्रशिक्षण की ऐसी तकनीक से परिचित कराया, जिसमें मंदिर की मूर्तियों की नकल करते हुए ‘ताई ची’ के समान 18 मुद्राएं शामिल थी. यही भिक्षु आगे चलकर चीन के योद्धा बने.
थ्री-किंगडम युग में जब शिल्ला राजवंश के योद्धाओं ने एक मार्शल आर्ट विकसित की. इसे ‘ताइक्योन’ नाम दिया गया, जिसका अर्थ ‘पैर-हाथ’ है. इसमें पैर और हाथों से प्रहार की तकनीकें सिखाई जाती थीं, जिसने आत्मरक्षा, अनुशासन और शारीरिक फिटनेस पर जोर दिया.
20वीं सदी की शुरुआत में यह मार्शल आर्ट एक प्रमुख खेल के रूप में उभरकर सामने आई. साल 1955 में साउथ कोरियन जनरल चोई होंग-ही ने इसे ‘ताइक्वांडो’ नाम दिया. ‘ताइक क्योन’ और ‘कराटे’ से प्रभावित होकर, इसे एक नई प्रणाली के रूप में विकसित किया गया.
साल 1973 में ताइक्वांडो को कोरियन नेशनल मार्शल आर्ट के रूप में नामित किया गया. साल 1973 में वर्ल्ड ताइक्वांडो फेडरेशन (डब्ल्यूटीएफ) की स्थापना हुई. इसी वर्ष सोल में ताइक्वांडो की पहली वर्ल्ड चैंपियनशिप का आयोजन भी किया गया.
इस खेल में दो-दो मिनट के तीन राउंड होते हैं. प्रत्येक राउंड के बीच खिलाड़ियों को एक मिनट का ब्रेक मिलता है. खिलाड़ी की कोशिश प्रतिद्वंदी के धड़ या सिर पर लात और घूंसे मारकर प्वाइंट्स हासिल करना होता है. बशर्ते घूंसा पंचिंग तकनीक के जरिए होना चाहिए. टखने के नीचे पैर के किसी भी हिस्से के इस्तेमाल से मारी गई किक ही इस खेल में मान्य होती है. किकिंग, स्पिनिंग और जंपिंग वाले इस खेल में हाथों का इस्तेमाल सिर्फ बैकअप के रूप में किया जाता है.
1988 सोल ओलंपिक में पहली बार ताइक्वांडो के खेल को प्रदर्शनी मैच के रूप में शामिल किया गया. 2000 सिडनी ओलंपिक में इसे आधिकारिक तौर पर मेडल गेम के रूप में शामिल किया गया.
भले ही ताइक्वांडो में India अब तक कोई पदक नहीं जीत सका है, लेकिन इस खेल में India की स्थिति धीरे-धीरे मजबूत हो रही है. देश में इस खेल को प्रशिक्षण और प्रतियोगिताओं के जरिए बढ़ावा दिया जा रहा है. भारतीय खिलाड़ी एशियाई और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब पदक जीतने लगे हैं. उम्मीद है कि इस खेल में भी India जल्द ओलंपिक मंच पर अपना जलवा दिखाता नजर आएगा.
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आरएसजी/एएस