स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने ‘बाल योग मित्रमंडल’ के जरिये बच्चों में जगाई योग की ललक

मुंगेर, 21 जून . स्वामी निरंजनानंद को योग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए पद्म भूषण सम्मान से नवाजा गया है. योग को देश और दुनिया तक पहुंचाने वाले निरंजनानंद महायोगी स्वामी सत्यानंद के शिष्य रहे हैं. बिहार योग विद्यालय मुंगेर के परमाचार्य स्वामी निरंजनानंद सरस्वती 1971 में संन्यास परंपरा में दीक्षित होने के बाद से ही देश-विदेश में योग संस्कृति का अलख जगा रहे हैं. 

वर्ष 1964 में मुंगेर में बिहार योग विद्यालय की स्थापना हुई और इसी साल चार साल के निरंजन योग विद्यालय में प्रविष्ट हुए. स्वामी निरंजनानंद ने आम तौर पर योग को देश दुनिया तक पहुंचाया, लेकिन बच्चों में भी उन्होंने योग की ललक बढ़ाई. उन्होंने बाल योग मित्रमंडल के जरिए बच्चों में योग के प्रति दिलचस्पी बढाई.

निरंजनानंद सरस्वती बिहार योग विद्यालय को विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा तक ले गये. वर्ष 1993 के विश्व योग सम्मेलन के बाद गंगा दर्शन में बाल योग मित्र मंडल की स्थापना की गयी. इसका आरंभ मुंगेर के सात छोटे बच्चों से किया गया और आज मुंगेर शहर में ही बाल योग मित्र मंडल 5000 से अधिक प्रशिक्षित बच्चे योग शिक्षक हैं.

जिन सात बच्चों से उन्होंने बाल योग मित्र मंडल की शुरुआत की थी, उसमें विकास और माधवन भी शामिल थे. विकास आज रांची में शिक्षा विभाग में हैं, जबकि माधवन दिल्ली में स्वास्थ्य क्षेत्र में हैं. ये आज भी योग परम्परा का निर्वहन कर रहे हैं.

विकास बताते हैं कि मुंगेर में आज बाल योग मित्र मंडल में 35 हजार बच्चे हैं जबकि देश में ऐसे बच्चों की संख्या 1,50000 है. इन बच्चों ने तीन आसनों, दो प्राणायाम, शिथिलीकरण एवं धारणा के एक-एक अभ्यास का चयन किया. उस समय यह प्रयोग सात सौ बच्चों पर किया गया और उसकी रचनात्मकता, व्यवहार और व्यक्तिगत अनुशासन पर हुए असर की जांच की गई तो इसमें गुणात्मक परिवर्तन पाया गया.

उन्होंने बताया कि स्वामी सत्यानंद सरस्वती का मानना है कि यदि हम बच्चों तक पहुंच पाते हैं और उनके जीवन की गुणवत्ता और प्रतिभा में सुधार ला पाते हैं, तो वे अपनी रचनात्मकता का अधिकतम उपयोग कर अपने भावी जीवन के तनावों और संघर्षों का सामना बेहतर ढंग से कर पाएंगे.

माधवन बताते हैं कि तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम दो बार मुंगेर में बच्चों के कार्यक्रम में आ चुके हैं. उन्होंने मुंगेर को योगनगरी की संज्ञा दी थी. विकास और माधवन आज भी योग को लेकर बच्चों को प्रोत्साहित करते हैं.

उन्होंने कहा कि 14 फरवरी को जब कई लोग वेलेंटाइन डे मनाते हैं तो हम बाल योग दिवस मनाते हैं. स्वामी निरंजनानंद सरस्वती कहते हैं कि बाल योग मित्रमंडल को तीन लक्ष्य दिए हैं — योग से संस्कार प्राप्त करना, योग से ऐसी प्रतिभा को प्राप्त करना जिससे बिना किसी पर आश्रित रहे अपना जीवन चला सकें और योग को आधार बनाकर अपने जीवन को संस्कृति से युक्त कर सकें. संस्कार, स्वावलंबन, संस्कृति और राष्ट्र प्रेम यही बाल योग मित्रमंडल के लक्ष्य हैं.

उन्होंने कहा कि इन बच्चों को न सिर्फ योग की शिक्षा दी जाती है, बल्कि कराटे, आधुनिक नृत्य, मंत्रोच्चार, स्पोकेन इंगलिश की भी शिक्षा दी जाती है. ये बच्चे जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय योग मिशन के प्रमुख अंग बन गये हैं.

एमएनपी/