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New Delhi, 29 अगस्त . Supreme court ने Friday को बिहार की मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के पहले चरण के बाद भारतीय चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची पर दावे और आपत्तियां दर्ज करने की समय-सीमा बढ़ाने की मांग वाली याचिकाओं पर विचार किया. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 1 सितंबर को करने पर सहमति जताई.
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने एसआईआर प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई. अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दलील दी कि राष्ट्रीय जनता दल और कुछ अन्य Political दलों ने चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित 1 सितंबर की समय सीमा बढ़ाने के लिए आवेदन दायर किए हैं.
पिछली सुनवाई में न्यायमूर्ति कांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने पक्षकारों को मौखिक रूप से आश्वासन दिया था कि समय सीमा बढ़ाने के उनके अनुरोध पर बाद में विचार किया जा सकता है. इस मामले की सुनवाई 8 सितंबर के लिए निर्धारित की थी.
इसके साथ-साथ चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि वह मसौदा मतदाता सूची में शामिल न किए गए मतदाताओं से ऑनलाइन दावा प्रपत्र स्वीकार करे और उन पर दस्तावेजों को भौतिक रूप से जमा करने पर जोर न डाला जाए. Supreme court ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए क्लेम फॉर्म को चुनाव आयोग द्वारा पहले सूचीबद्ध 11 दस्तावेजों में से किसी एक या आधार कार्ड के साथ जमा किया जा सकता है. कोर्ट ने बिहार में सभी Political दलों और उनके बूथ-स्तरीय कार्यकर्ताओं (बीएलए) को निर्देश दिया कि वे उन लोगों की मदद करें जो गणना फॉर्म जमा नहीं कर पाए और जिनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए.
14 अगस्त को जस्टिस कांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने एक अंतरिम आदेश में चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह बिहार में चुनाव से पहले तैयार मतदाता सूची से हटाए गए लगभग 65 लाख मतदाताओं का जिला-वार डेटा अपलोड करे. साथ ही, उनके नाम हटाने के कारण, जैसे मृत्यु, निवास स्थान में बदलाव या दोहरी प्रविष्टि, भी स्पष्ट किए जाएं.
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एससीएच/एएस