सिरसा, 1 अक्टूबर . दुष्कर्म और हत्या जैसे संगीन मामलों में सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को मिली पैरोल पर दिवंगत पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि राम रहीम को पैरोल देकर कानून के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.
अंशुल छत्रपति ने कहा कि हमने गुरमीत राम रहीम को पैरोल दिए जाने को लेकर चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है कि राम रहीम ने इमरजेंसी पैरोल के लिए एक अर्जी दाखिल की है. मगर चुनाव आयोग के निर्देशों के मुताबिक, चुनाव के दौरान किसी भी सजायाफ्ता कैदी को पैरोल नहीं दी जाती है. अगर इस संबंध में कदम उठाए जाते हैं, तो पहले चुनाव आयोग को सूचित करना जरूरी होता है.
अंशुल छत्रपति ने कहा, “गुरमीत राम रहीम ने इमरजेंसी पैरोल के लिए जो अर्जी लगाई है, इसमें बताए गए कारण बेहद ही हास्यास्पद हैं. राम रहीम ने वजह बताई है कि 5 अक्टूबर को उसके पिता की बरसी है, इसे लेकर एक कार्यक्रम का आयोजन होना है, जिसके लिए उसे पैरोल चाहिए.”
उन्होंने कहा कि मेरा सवाल है कि इमरजेंसी पैरोल तभी मिलती है, जब कैदी के घर में किसी की मौत हो जाती है या फिर उसकी तबीयत खराब है. इसी आधार पर ही पैरोल मिलता है. हैरानी की बात यह है कि राम रहीम के केस में ऐसा कहीं भी दिखाई नहीं देता है. पिता की बरसी को इमरजेंसी आधार बनाकर पैरोल लेना गलत है.
अंशुल ने कहा कि चुनाव आयोग ने कहा है कि हरियाणा सरकार कुछ शर्तों के साथ गुरमीत राम रहीम को पैरोल दे सकती है. कानून को तार-तार करके यदि यह फैसला लिया जाता है, तो ये बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण घटना होगी. हम चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया तथा सुप्रीम कोर्ट से अपील करते हैं कि इस मामले में संज्ञान लें और गुरमीत राम रहीम को दी जाने वाली पैरोल पर रोक लगाएं. देश की न्यायपालिका को आगे आना चाहिए.
बता दें कि बाबा राम रहीम को सशर्त पैरोल मिली है. पैरोल के दौरान वो ना ही किसी प्रकार की राजनीतिक सभा में शिरकत कर सकेगा और ना ही किसी नेता से मिलेगा. उसे दो टूक कह दिया गया है कि अगर वो इन दोनों में से कुछ भी करता हुआ पाया गया, तो उसकी पैरोल रद्द कर दी जाएगी.
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