नई दिल्ली, 22 फरवरी . सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पूरे देश में सामुदायिक रसोई शुरू करने की मांग वाली याचिका पर कोई निर्देश या दिशानिर्देश पारित करने से इनकार कर दिया.
न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली पीठ ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम सहित विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं मौजूद आने के मद्देनजर यह जांचने से इनकार कर दिया कि क्या सामुदायिक रसोई की अवधारणा अधिनियम के तहत मौजूदा खाद्य सुरक्षा ढांचे के लिए एक बेहतर या बुद्धिमान विकल्प है.
पीठ में न्यायमूर्ति पंकज मिथल भी शामिल थे.
अदालत ने कहा कि भोजन और पोषण सुरक्षा प्रदान करने के लिए वैकल्पिक योजनाएं तैयार करने का विकल्प केंद्र और राज्य सरकारों के लिए खुला है.
यह फैसला पूरे देश में सामुदायिक रसोई स्थापित करने, जरूरतमंद लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए एक अपेक्षित योजना तैयार करने और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के दायरे से बाहर के लोगों के लिए भूख और कुपोषण से लड़ने के लिए एक राष्ट्रीय खाद्य ग्रिड बनाने की मांग वाली याचिका पर आया.
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के अनुरूप एक ‘मॉडल सामुदायिक रसोई योजना’ लाने का निर्देश दिया था.
इसने सभी राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों को केंद्र द्वारा आयोजित बैठक में भाग लेने और उक्त योजना बनाने में सहयोग करने के लिए कहा था, जिसे पूरे देश में समान रूप से लागू किया जा सकता है.
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