उभयलिंगी शिशुओं और बच्चों के अधिकारों से संबंधित याचिका पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

नई दिल्ली, 8 अप्रैल . सुप्रीम कोर्ट सोमवार को उभयलिंगी (इंटरसेक्स) शिशुओं और बच्चों के अधिकारों से संबंधित एक याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हो गया, जिसमें दावा किया गया है कि उनके जन्म और मृत्यु पंजीकरण के लिए कानून के तहत कोई तंत्र मौजूद नहीं है.

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र और अन्य को नोटिस जारी करते हुए मामले में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्‍वर्या भाटी से मदद मांगी.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा, “जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम के तहत उनकी मृत्यु और जन्म को पंजीकृत करने की कोई व्यवस्था नहीं है और उन पर जनगणना के लिए भी विचार नहीं किया जाता.”

उन्होंने आगे कहा कि लगभग सभी राज्यों में माता-पिता की सहमति से इंटरसेक्स शिशुओं और बच्चों पर लिंग-चयनात्मक सर्जरी की जाती है.

वकील ने कहा कि अन्य विदेशी न्यायक्षेत्रों में वयस्कता प्राप्त करने से पहले किया गया ऐसा चिकित्सा हस्तक्षेप दंडनीय अपराध है, जब तक कि विशेषज्ञों और डॉक्टरों का एक स्वतंत्र पैनल इसे जीवन-घातक स्थिति में जरूरी नहीं समझता.

मद्रास उच्च न्यायालय के एक फैसले के अनुसार, तमिलनाडु सरकार ने जीवन-घातक स्थितियों को छोड़कर इंटरसेक्स शिशुओं और बच्चों पर लिंग परिवर्तन सर्जरी पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है.

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