सुप्रीम कोर्ट ने असम एनआरसी फाइनल करने की मांग वाली याचिकाओं पर नोटिस जारी किया

New Delhi, 10 नवंबर . Supreme court ने असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को अंतिम रूप देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर Monday को नोटिस जारी किया है. ये याचिकाएं जमीयत उलेमा-ए-हिंद और ऑल असम माइनॉरिटीज स्टूडेंट्स यूनियन की ओर से दायर की गई थीं, जिनमें केंद्र Government और रजिस्ट्रार जनरल ऑफ सिटिजन रजिस्ट्रेशन को 2019 में प्रकाशित अंतिम एनआरसी के बाद की लंबित वैधानिक प्रक्रियाएं पूरी करने के निर्देश देने की मांग की गई है.

न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति ए.एस. चंदूरकर की पीठ ने केंद्र, जनगणना आयुक्त, असम Government और राज्य एनआरसी समन्वयक से जवाब मांगा है. याचिकाओं में कहा गया है कि अंतिम एनआरसी प्रकाशित होने के छह साल बाद भी उसे लागू करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं.

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और इंदिरा जयसिंग, अधिवक्ता फुज़ैल अहमद अय्यूबी के निर्देश पर पेश हुए. उनका कहना था कि Supreme court ने 2013 से 2019 तक एनआरसी प्रक्रिया की कड़ी निगरानी की थी, लेकिन अधिकारियों ने नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियम, 2003 के तहत आवश्यक अंतिम वैधानिक कदम पूरे नहीं किए.

याचिका में कहा गया है कि केंद्र ने अंतिम एनआरसी में शामिल 3.11 करोड़ व्यक्तियों को राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी नहीं किए हैं और न ही 19 लाख बाहर हुए लोगों को अपील के लिए आवश्यक ‘रिजेक्शन स्लिप’ दी गई है, जिससे वे विदेशी न्यायाधिकरणों में अपील कर सकें.

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि एनआरसी प्रक्रिया को प्रकाशन के बाद अधर में छोड़ देने से “अनिश्चित नागरिकों” की बड़ी संख्या पैदा हो गई है, जिससे सामाजिक अविश्वास और डर बढ़ा है.

उन्होंने यह भी तर्क दिया कि असम में अवैध प्रवासन की समस्या का स्थायी समाधान केवल एनआरसी को विधिक ढांचे के अनुरूप पूर्ण करने में ही संभव है, न कि इसे वर्षों तक लंबित छोड़ने में, जबकि इस पर 1,600 करोड़ रुपये से अधिक की सार्वजनिक धनराशि खर्च हो चुकी है.

याचिका में अंतिम एनआरसी में शामिल लोगों को राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करने और बाहर किए गए लोगों को ‘रिजेक्शन आदेश’ देकर अपील प्रक्रिया शुरू करने की मांग की गई है.

डीएससी