नई दिल्ली, 6 सितंबर . सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भूषण स्टील लिमिटेड के पूर्व प्रबंध निदेशक नीरज सिंगल को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया, जिन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक बैंक से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. पीठ में न्यायमूर्ति संजय कुमार भी शामिल थे.
सिंगल ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका दायर की थी, जिसमें उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी और ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी की वैधता को बरकरार रखा गया था.
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि मुकदमे का समापन निकट भविष्य में होने की संभावना नहीं है और सिंघल को मुकदमे से पहले लंबी कैद का सामना करना पड़ा है, पीठ ने सिंगल को ट्रायल कोर्ट द्वारा तय शर्तों पर रिहा करने का आदेश दिया.
शीर्ष अदालत ने कहा कि भूषण स्टील के पूर्व एमडी को अपना पासपोर्ट सरेंडर करना होगा और अदालत की अनुमति के बिना वह देश नहीं छोड़ेंगे.
इस साल जनवरी में, दिल्ली हाई कोर्ट ने सिंगल की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. सिंगल ने 9 जून 2023 को हुई उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी. उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि उस समय गिरफ्तारी के आधार के बारे में मौखिक रूप से बता देना धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 19(1) के साथ उचित अनुपालन माना जाता था.
सिंगल की गिरफ्तारी के बाद मोइन अख्तर कुरैशी मामले पर दिये गये फैसले में गिरफ्तारी के आधार की लिखित जानकारी अनिवार्य की गई थी.
ईडी ने भूषण स्टील लिमिटेड के खिलाफ गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) द्वारा दायर एक अभियोजन शिकायत के आधार पर जांच शुरू की थी.
जांच से पता चला कि भूषण स्टील और उसके प्रबंध निदेशक, नीरज सिंगल ने फंड की हेराफेरी के लिए फर्जी कंपनियां बनाईं, जिससे भारतीय स्टेट बैंक और पंजाब नेशनल बैंक को अनुचित नुकसान हुआ.
ईडी ने आरोप लगाया कि भूषण स्टील के प्रवर्तक, निदेशक और अधिकारी फर्जी दस्तावेज बनाने और बैंकों को गलत जानकारी देने सहित धोखाधड़ी गतिविधियों में शामिल थे.
जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड और हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के पक्ष में फर्जी लेटर ऑफ क्रेडिट के माध्यम से धन का दुरुपयोग किया गया.
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एसएचके/एकेजे