नई दिल्ली, 2 जुलाई . केंद्रीय राज्य मंत्री और बालुरघाट से सांसद डॉ. सुकांत मजूमदार ने 19 जून को पश्चिम बंगाल के डायमंड हार्बर में अपने काफिले पर हुए हमले के मामले में लोकसभा सचिवालय को विशेषाधिकार हनन का नोटिस सौंपा.
उन्होंने इसे सांसद की गरिमा और सुरक्षा पर हमला बताया. लोकसभा सचिवालय ने गृह मंत्रालय से 15 दिनों के भीतर तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है.
उन्होंने नोटिस में बताया कि 19 जून को वे डायमंड हार्बर में राजनीतिक हिंसा के पीड़ितों से मिलने और कानून-व्यवस्था की स्थिति का जायजा लेने गए थे. इस दौरान उनके आधिकारिक काफिले को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कथित कार्यकर्ताओं की भीड़ ने घेर लिया. भीड़ ने काफिले पर पथराव किया, वाहनों को नुकसान पहुंचाया और कई लोगों को चोटें आईं. इस हमले से उनकी और अन्य लोगों की जान को खतरा हुआ.
उन्होंने आरोप लगाया कि घटना के समय एसपी राहुल गोस्वामी मौके पर मौजूद थे, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की. यह लापरवाही और कर्तव्य की अवहेलना का मामला है. डायमंड हार्बर के एसडीपीओ को भी उनके दौरे की पूर्व सूचना थी, लेकिन वे मौके पर नहीं थे. स्थिति को केवल केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के हस्तक्षेप से नियंत्रित किया गया, जो मजूमदार को जेड श्रेणी की सुरक्षा प्रदान करता है.
नोटिस में मजूमदार ने कहा कि यह घटना न केवल उनकी जान को खतरे में डालने वाली थी, बल्कि एक सांसद के विशेषाधिकार और लोकसभा की गरिमा पर भी हमला है.
उन्होंने इसे लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ गंभीर उल्लंघन बताया और विशेषाधिकार समिति से जांच की मांग की. उन्होंने 20 जून को एक पूरक नोटिस में अतिरिक्त तथ्य पेश किए. इसमें उन्होंने बताया कि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (मुख्यालय) अमलान कुसुम घोष भी घटना के समय अनुपस्थित थे, जबकि उन्हें दौरे की जानकारी थी.
इसके अलावा, मजूमदार ने वीडियो साक्ष्य भी सौंपे, जिनमें भीड़ का हमला, पथराव और पुलिस की निष्क्रियता स्पष्ट दिख रही है. ये साक्ष्य इलेक्ट्रॉनिक रूप से लोकसभा सचिवालय को भेजे गए हैं.
मजूमदार ने कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की निष्क्रियता और लापरवाही एक सिस्टमैटिक विफलता को दर्शाती है. उन्होंने विशेषाधिकार समिति से इस मामले की गहन जांच और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.
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एसएचके/एबीएम