सुदामा कुटी का शताब्दी समारोह, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करेंगी शताब्दी वर्ष समारोह की शुरुआत

New Delhi, 23 सितंबर . President द्रौपदी मुर्मू 25 सितंबर को वृंदावन आ रही हैं. वृंदावन में अपने प्रवास के दौरान President बांके बिहारी मंदिर, निधि वन के अलावा सुदामा कुटी भी जाएंगी. श्रीधाम वृंदावन में सुदामा कुटी के सौ साल पूरे होने पर होने वाले कार्यक्रम का शुभारंभ President द्रौपदी मुर्मू के हाथों होगा. इसके लिए आश्रम में भव्य स्वागत की तैयारी चल रही है.

सुदामा कुटी की स्थापना श्री सुदामादास जी महाराज ने 1926 में की थी और तब से निरंतर यह आश्रम संतों की सेवा में लगा हुआ है .

President द्रौपदी मुर्मू के वृंदावन आगमन को खास बनाने की तैयारी जोरों पर है. ब्रज में पारंपरिक तरीके से स्वागत की तैयारी चल रही है. इसको भव्य बनाने की पूरी तैयारी है और स्वागत के लिए पूरे वृंदावन को सजाया जा रहा है. सुदामा कुटी के मुख्य महंत सुतीक्ष्ण दास महाराज ने बताया कि President मुर्मू भजन कुटी का लोकार्पण करेंगी और सुदामा कुटी में थोड़ा समय संतों के साथ रहेंगी.

महंत सुतीक्ष्ण दास ने यह भी बताया कि आश्रम के संस्थापक गोलोकवासी संत सुदामा दास जी महाराज के वृंदावन आगमन के सौ साल पूरे होने पर आश्रम में शताब्दी वर्ष समारोह का आयोजन किया जा रहा है इसकी शुरुआत President मुर्मू के हाथों होगी. अपने प्रवास के दौरान President आश्रम में पारिजात का पौधरोपण भी करेंगी और संतों से चर्चा भी करेंगी .

श्रीधाम के नाम से जाने जाने वाले वृंदावन में वैसे तो हजारों मंदिर और आश्रम है, लेकिन संत सेवा के लिए जाने जाने वाला सुदामा कुटी अपनी अलग जगह रखता है. सुदामा कुटी आश्रम बंसीवट और गोपेश्वर महादेव मंदिर के बीच स्थित है जहां हजारों संतों की सेवा की जाती है. अपनी निशुल्क सेवाओं के लिए जाने जाने वाला सुदामा कुटी आश्रम संतों के बीच अपनी अलग पहचान रखता है.

सुदामा कुटी की स्थापना गोलोकवासी संत सुदामा दास जी महाराज ने की थी. आश्रम के छोटे महाराज श्री अमरदास जी महाराज ने बताया कि अनंत विभूषित संत सुदामा दास जी महाराज जी का जन्म बिहार राज्य के गोपालगंज जिला स्थित छिपाया नाम के गांव में 1899 में हुआ था. बचपन से ही वैराग्य की प्रबल इच्छा तथा साधु संतों से लगाव बहुत ही स्वाभाविक था.

महाराज जी जनकपुर तथा अयोध्या जी में वास करने के बाद 1926 में वृंदावन को प्रस्थान किया और यहीं सुदामा कुटी की स्थापना की. संत सुदामा दास जी का श्री धाम आगमन 1926 में हुआ था और तब से ही वे संत सेवा में लग गए थे.

छोटे महाराज श्री अमरदास जी महाराज ने यह भी बताया कि सुदामा कुटी में कई मंदिर हैं जहां सुबह से शाम तक भजन कीर्तन जारी रहता है और संतों की सेवा में लगे संत गौशाला में गाय माता की सेवा करते हैं, तो जरूरतमंदों की सेवा भी उसी भाव से की जाती है.

एसके/एएस