अपेंडिक्स कैंसर से पीड़ित महिला का मिनिमली इनवेसिव रोबोटिक सर्जरी से सफल इलाज

चेन्नई, 9 मई . एक बड़ी चिकित्सा सफलता में मिनिमली इनवेसिव रोबोटिक सर्जरी से स्यूडोमाइक्सोमा पेरिटोनी (पीएमपी) नामक आक्रामक अपेंडिक्स कैंसर से पीड़ित एक महिला का सफल इलाज किया गया.

स्यूडोमाइक्सोमा पेरिटोनी (पीएमपी) एक बेहद ही दुर्लभ बीमारी है. यह हर वर्ष 10 लाख में से लगभग 2 लोगों को प्रभावित करती है. यह मुख्य रूप से 50 वर्ष की आयु वाली महिलाओं में अधिक होती है.

51 वर्ष की महिला रोगी का बाइलैटरल ओवेरियन मास्स का इलाज किया गया. बड़ी सर्जरी में गर्भाशय, अंडाशय, अपेंडिक्स और ओमेंटम का हिस्सा हटाया गया.

बाद की जांच में स्यूडोमाइक्सोमा पेरिटोनी (पीएमपी) के साथ अपेंडिक्स के एक उच्च श्रेणी के म्यूसिनस ट्यूमर का पता चला, जिसके लिए अतिरिक्त सर्जरी की जरूरत पड़ी.

रोगी में जिलेटिनस जमाव पाया गया जो पेल्विस (पेट के निचले हिस्से को पेडू या पेल्विस कहा जाता है) और सेकुम के आसपास एपेंडिकुलर म्यूसिनस ट्यूमर के लिए सर्जरी के बाद पेट में रहता है.

अपेंडिक्स कैंसर के मरीज की पेट की परत (पेरिटोनियम) तक फैलने की अजीब प्रवृत्ति के कारण अपोलो कैंसर सेंटर (एसीसी) के डॉक्टरों ने मिनिमली इनवेसिव रोबोटिक साइटोरिडक्टिव सर्जरी (सीआरएस) का सहारा लिया. सर्जरी ने पेट से बचे हुए ट्यूमर को पूरी तरह से हटा दिया.

एसीसी में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जरी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अजीत पई ने कहा, ”पेट की कैविटी में कैंसर कोशिकाओं की संख्या को कम करने के लिए दाहिनी हेमिकोलेक्टॉमी (अपेंडिक्स वाले कोलन को हटाना) और पूर्ण मेसोकोलिक एक्सिशन (कोलन और अपेंडिक्स से उत्पन्न होने वाले कैंसर के इलाज के लिए सर्जरी) और पेरिटोनेक्टॉमी और टोटल ओमेंटेक्टॉमी के साथ-साथ हाइपरथर्मिक इंट्रापेरिटोनियल कीमोथेरेपी (कीमो दवा के साथ गर्म कीमोथेरेपी) के साथ पेट के अंदर किसी भी संभावित सूक्ष्म अवशिष्ट ट्यूमर को खत्म करने के लिए सर्जरी की गई थी.”

रोबोटिक सर्जरी दर्द, रक्त हानि, घाव और असुविधा को कम करती है. इससे रोगी को तेजी से स्वास्थ्य लाभ मिलता है और वह सामान्य जीवन में जल्दी लौट आता है.

डॉक्टर ने कहा, “एक साल के फॉलो-अप के बाद वह बिल्कुल स्वस्थ और कैंसर-मुक्त है.”

डॉ. अजीत ने कहा, ”रोबोटिक सर्जरी एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण प्रदान करती है, जिसके लिए सटीक ट्यूमर रिसेक्शन के लिए पारंपरिक और रोबोटिक तकनीकों में विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है. ऑपरेशन के बाद होने वाली बीमारी को कम करने के साथ त्वरित रिकवरी के साथ यह विधि उन रोगियों के लिए एक व्यवहार्य विकल्प है, जिनकी कैंसर कोशिकाएं सीमित तरीके से पेरिटोनियल सतहों पर फैल गई हैं.”

उन्होंने आगे कहा, ”हम सफल नैदानिक ​​परिणामों से रोमांचित हैं और इस सर्जरी में पेरिटोनियल सतह के कैंसर से जूझ रहे रोगियों के जीवन में सुधार करने की क्षमता है, जिसमें ओवेरियन, कोलोनिक और गैस्ट्रिक कैंसर भी शामिल हैं.

एमकेएस/एसजीके