पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में स्वदेशी ‘नाग’ मिसाइल का सफल परीक्षण

जैसलमेर, 14 जनवरी . भारत ने अपनी तीसरी पीढ़ी की स्वदेशी एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल ‘नाग’ का सफल परीक्षण किया है. यह परीक्षण राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में हुआ, जो पाकिस्तान सीमा के नजदीक है.

भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में यह परीक्षण संपन्न हुआ. इस परीक्षण के दौरान मिसाइल ने तीन अलग-अलग लक्ष्यों को पूरी सटीकता के साथ ध्वस्त किया.

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक नाग मिसाइल अब भारतीय सेना में शामिल होने के लिए पूरी तरह तैयार है. यह मिसाइल 230 मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से अपने लक्ष्य पर प्रहार करती है और चार किलोमीटर दूर स्थित दुश्मन को मात्र 17-18 सेकंड में नेस्तनाबूद कर सकती है.

सैन्य सूत्रों के अनुसार, नाग मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 300 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया है. इसका पहला सफल परीक्षण 1990 में हुआ था और इसके बाद से कई बार इसका परीक्षण किया जा चुका है.

जुलाई 2019 में भी पोकरण फायरिंग रेंज में इसका परीक्षण किया गया था. साथ ही 2017, 2018 और 2019 में भी इसमें नई तकनीक जोड़ने के लिए परीक्षण किए गए थे. नाग मिसाइल डीआरडीओ के एकीकृत मिसाइल विकास कार्यक्रम का हिस्सा है और यह भारतीय सेना की ताकत को कई गुना बढ़ाएगी.

नाग एमके-2 भारतीय सेना के लिए एक अत्याधुनिक एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल सिस्टम है, जो हल्की और हर मौसम में कार्य करने में सक्षम है. इसका वजन लगभग 45 किलो है और इसकी लंबाई 6 फीट 1 इंच है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफलता पर डीआरडीओ और भारतीय सेना को बधाई दी है.

नाग मिसाइल ‘फायर एंड फॉरगेट’ तकनीक पर आधारित है, जिसका मतलब है कि इसे एक बार दागने के बाद दोबारा निर्देशित करने की आवश्यकता नहीं होती. इस मिसाइल में इन्फ्रारेड तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो लॉन्च से पहले लक्ष्य को लॉक करती है और फिर उसे सटीकता से नष्ट कर देती है. इसकी मारक क्षमता 4 किलोमीटर तक है, और यह दुश्मन के टैंकों और सैन्य वाहनों को चंद सेकंडों में नष्ट कर सकती है. इस सफलता से भारत की रक्षा क्षमताओं में एक नया अध्याय जुड़ा है, और भारतीय सेना अब और भी ज्यादा मजबूत हो गई है.

एकेएस/एएस