सहकार से समृद्धि की सफलता गाथा: बनासकांठा की मानीबेन ने बेचा 1.94 करोड़ का दूध, इस वर्ष 3 करोड़ का लक्ष्य

गांधीनगर, 18 सितंबर . देश के सहकारी क्षेत्र को सशक्त बनाना और उसके माध्यम से देश के प्रत्येक गांव के किसानों और पशुपालकों को समृद्ध बनाना, Prime Minister Narendra Modi का विजन है. इसी विजन को आगे बढ़ाते हुए Chief Minister भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में Gujarat राज्य सहकारी क्षेत्र में पूरे देश में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

सहकारिता क्षेत्र में हुए व्यापक प्रयासों के परिणामस्वरूप राज्य के पशुपालक समृद्ध हो रहे हैं और विशेष रूप से महिलाएं आत्मनिर्भर बनकर समाज को प्रेरणा दे रही हैं. ऐसी ही एक सफलता गाथा बनासकांठा की मानीबेन की है, जिन्होंने वर्ष 2024-25 में 1 करोड़ 94 लाख रुपए का दूध संग्रहित कर बनासकांठा जिले में दूसरा स्थान प्राप्त किया है. इस वर्ष वे 3 करोड़ रुपए का दूध बेचने का लक्ष्य प्राप्त करने की तैयारी कर रही हैं.

कांकरेज तालुका के कसरा गांव की 65 वर्षीय मानीबेन जेसुंगभाई चौधरी स्थानीय दि पटेलवास (कसरा) दुग्ध उत्पादक सहकारी मंडली में प्रतिदिन 1100 लीटर दूध जमा कराती हैं. वर्ष 2024-25 में उन्होंने कुल 3 लाख 47 हजार से अधिक लीटर दूध जमा कराया, जिसका मूल्य 1.94 करोड़ रुपए से अधिक हुआ है. अपनी इस उपलब्धि के कारण उन्हें इस वर्ष पूरे बनासकांठा जिले में श्रेष्ठ बनास लक्ष्मी श्रेणी में द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ. हाल ही में बनासकांठा के बादरपुरा में आयोजित आमसभा में उन्हें इस सफलता के लिए सम्मान पत्र प्रदान किया गया.

मानीबेन अपनी इस सफलता को नई ऊंचाइयों तक ले जाना चाहती हैं. उनके परिवार में तीन बेटों में सबसे छोटे विपुलभाई ने बताया कि हमें बनास डेयरी से समय-समय पर उचित मार्गदर्शन मिल रहा है और हम इस क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहे हैं. वर्ष 2011 में हमारे पास केवल 10 से 12 गाय और भैंस थीं, जिनकी संख्या अब बढ़कर 230 से अधिक हो गई है. वर्तमान में हमारे पास 140 भैंसें, 90 गायें और लगभग 70 छोटे बछड़े हैं. इस वर्ष हम 100 और भैंसें खरीदकर दूध उत्पादन को और बढ़ाना चाहते हैं. साल के अंत तक हम तीन करोड़ से अधिक मूल्य का दूध बेचने की तैयारी कर रहे हैं.

मानीबेन के परिवार ने गायों और भैंसों की देखभाल के लिए शेड की व्यवस्था की है. उनके पास बन्नी, महेसाणी और मुर्राह नस्ल की भैंसें हैं, साथ ही एचएफ गायों के अलावा चार देशी कांकरेज नस्ल की गायें भी हैं.

मानीबेन के पशुपालन कार्य से आज लगभग 16 परिवार जुड़े हुए हैं. मानीबेन, गाय और भैंसों के दूध दुहने के लिए आधुनिक मशीनों का उपयोग करती हैं. पशुपालन की पूरी प्रक्रिया में परिवार के सदस्य भी सक्रिय रूप से सहयोग करते हैं और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रेरणा देते हैं. विपुलभाई का कहना है कि हम तीनों भाई ग्रेजुएट हैं और हम सब इस कार्य में जुड़े हुए हैं. पशुपालन क्षेत्र से आय बढ़ने के कारण अब कई युवा भी इस काम में जुड़ने की प्रेरणा ले रहे हैं.

Gujarat के पशुपालन क्षेत्र में महिलाओं द्वारा संचालित डेयरी सहकारी समितियों और स्वयं सहायता समूहों की संख्या उल्लेखनीय है. राज्य में कुल 16,000 से अधिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियां हैं, जिनमें से लगभग 4,150 समितियां पूरी तरह से महिलाओं द्वारा संचालित हैं. राज्य के कुल 36 लाख से अधिक सदस्यों में 11 लाख से भी अधिक महिलाएं शामिल हैं.

बनास डेयरी जैसी बड़ी डेयरियों में जहां प्रतिदिन लगभग 90 लाख लीटर दूध का संकलन होता है, वहां भी महिला पशुपालकों का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है. बनास डेयरी में बड़ी संख्या में महिला सदस्य प्रतिवर्ष 50 लाख रुपए से अधिक मूल्य का दूध जमा कराकर न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हुई हैं, बल्कि ग्रामीण समाज में आत्मनिर्भरता और प्रेरणा का भी स्रोत बनी हैं.

पीएसके/डीएससी