नई दिल्ली, 28 दिसंबर . टॉन्सिलाइटिस की जांच के लिए डिजिटल तरीके उतने प्रभावी नहीं है. यह बात एक अध्ययन में सामने आई है.
टॉन्सिलाइटिस, टॉन्सिल्स (गले के पीछे दो लिम्फ नोड/ ग्रंथि) का दर्दनाक संक्रमण है. इसके लक्षणों में टॉन्सिल में सूजन, गले में खराश और निगलने में मुश्किल होती है.
एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि इसकी डिजिटल जांच हमेशा सही नहीं होती है. इसकी वजह से गले में परेशानी और बढ़ सकती है.
स्वीडन के गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने बताया कि टॉन्सिलाइटिस का इलाज सामान्यतः एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है. यह तय करना कि एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत है या नहीं, डिजिटल जांच से उतना सही नहीं हो सकता जितना शारीरिक जांच से होता है.
डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत की जांच करने के लिए “सेंटोर क्राइटेरिया” का उपयोग करते हैं. इसमें बुखार, सूजे हुए लिम्फ नोड्स और टॉन्सिल का निरीक्षण किया जाता है. हालांकि, शोधकर्ताओं का कहना है कि यह स्पष्ट नहीं है कि डिजिटल परामर्श के दौरान इन मानदंडों का आकलन पारंपरिक व्यक्तिगत परामर्श की तरह सही तरीके से किया जा सकता है.
साहलग्रेन्स्का अकादमी में पीएचडी की छात्रा पैट्रिसिया वोल्डन-ग्रेडालस्का ने कहा, “हमारे शोध से पता चलता है कि डिजिटल स्वास्थ्य सेवा परामर्श कई मरीजों के लिए सुविधाजनक हो सकता है लेकिन वे टॉन्सिलाइटिस का सही आकलन करने के लिए पर्याप्त विश्वसनीय नहीं हैं. सही निदान और उपचार के लिए शारीरिक परीक्षण अभी भी महत्वपूर्ण है.”
इस अध्ययन में 189 मरीजों को शामिल किया गया था, जिन्होंने 2020 जनवरी से अक्टूबर 2023 तक स्वीडन में हेल्थकेयर क्लीनिक और आपातकालीन देखभाल क्लिनिक से मदद ली थी.
अध्ययन में हर मरीज की दो बार जांच की गई. एक बार डिजिटल चिकित्सा जांच के जरिए और दूसरी बार डॉक्टर द्वारा शारीरिक जांच के द्वारा.
परिणामों ने यह दिखाया कि डिजिटल स्वास्थ्य सेवा परामर्श टॉन्सिल निरीक्षण और लिम्फ नोड परीक्षा जैसे महत्वपूर्ण मानदंडों का सही मूल्यांकन करने में सक्षम नहीं हैं.
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पीएसएम/केआर