नीट एग्जाम पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से छात्र नाखुश

नई दिल्ली, 23 जुलाई . सुप्रीम कोर्ट ने नीट एग्जाम में हुई धांधली को लेकर मंगलवार को अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि अब तक ऐसा कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया है, जिससे यह साबित हो सके कि परीक्षा में धांधली हुई है. ऐसी स्थिति में हम परीक्षा को संपन्न कराने वाले तंत्र पर सवाल नहीं उठा सकते.

कोर्ट ने कहा कि नीट यूजी एग्जाम अब कैंसिल नहीं होगा. कोर्ट ने फैसला सुनाने से पहले दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं. कोर्ट ने कहा कि 1 लाख 8 हजार सीटों के लिए 24 लाख विद्यार्थी स्पर्धा कर रहे हैं.

कोर्ट ने कहा कि परीक्षा में कुल 180 प्रश्न होते हैं. जिनके कुल अंक 720 होते हैं. इसके अलावा, गलत उत्तर के लिए नकारात्मक अंक का भी प्रावधान होता है. हालांकि, इससे एक बात स्पष्ट होती है कि परीक्षा की प्रणालीगत खामियों को दुरुस्त करने के लिए री-टेस्ट ही एक मार्ग है, लेकिन इस बात को भी सिरे से खारिज करना उचित नहीं रहेगा कि परीक्षा की गरिमा पर सवाल उठाने के संबंध में अब तक एक भी साक्ष्य सामने नहीं आया है, लिहाजा दोबारा से एग्जाम कराने का सवाल ही पैदा नहीं होता.

बता दें कि कोर्ट के इस फैसले को देशभर के एक या दो लाख नहीं, बल्कि 24 लाख विद्यार्थियों के लिए राहत भरे कदम के रूप में रेखांकित किया जा रहा है.

उधर, कोर्ट के इस फैसले को लेकर याचिकाकर्ता छात्रों से लेकर अधिवक्ताओं तक ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. इसी संबंध में एक छात्र रोशन ने से बातचीत में कहा, “कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अब दोबारा से एग्जाम नहीं होगा. दोबारा से एग्जाम कराने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता. हम कोर्ट के इस फैसले से नाखुश हैं, लेकिन कोर्ट का फैसला है, जो कि कानून व्यवस्था का अभिन्न अंग है. ऐसी स्थिति में हम कोर्ट के फैसले को मानने के लिए बाध्य हैं, जिस पर हम सवाल भी नहीं उठा सकते.”

छात्र ने आगे कहा, “हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी खुद इस बात को माना था कि पेपर लीक हुआ है, लेकिन इसकी पुष्टि करने के लिए हमारे पास कोई सबूत नहीं था. इस संबंध में सबूत जुटाने का काम सीबीआई का था, लेकिन जांच एजेंसी संभवत: अब तक सबूत जुटाने में विफल रही है, जिससे यह साबित हो सके कि पेपर लीक हुआ है. उधर, मामले में कई आरोपी शामिल थे, जिन्हें गिरफ्तार करने में जांच एजेंसी विफल रही. हमें उम्मीद थी कि दोबारा एग्जाम कराने का मार्ग प्रशस्त हो, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. लेकिन, यह बात साफ हो चुकी है कि एनटीए परीक्षा संपन्न कराने में विफल रही है. अब ऐसी स्थिति में अगले वर्ष जो भी छात्र एग्जाम देंगे, वो एनटीए की कार्यप्रणाली को लेकर आशंकित रहेंगे.”

उधर, अधिवक्ता ने इस संबंध में से बातचीत में कहा, “लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने आज अपना फैसला सुना दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने इस बात को स्वीकारा भी है कि पटना, हजारीबाग परीक्षा केंद्र में पेपर लीक हुआ और यह सब कुछ मोबाइल के जरिए अंजाम दिया गया, लेकिन कोर्ट ने इसे सीमित दायरे में माना है. सीबीआई ने बीते दिनों इस संबंध में एक या दो नहीं, बल्कि 56 लोगों को चिन्हित किया था. दो शहरों के दो-दो परीक्षा केंद्रों में पेपर लीक हुआ था, जिसका फायदा कई लोगों ने उठाया. 155 छात्रों को इससे फायदा पहुंचा है. जिसे देखते हुए कोर्ट ने कहा है कि हम ऐसी स्थिति में यह नहीं कह सकते कि सभी 23 लाख छात्रों का दोबारा से एग्जाम हो. यह उचित नहीं रहेगा. सीबीआई इसकी जांच कर रही है. अगर जांच के दौरान और छात्रों को चिन्हित किया जाता है, तो उसे भी सामने लाया जाएगा.”

वकील ने आगे कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने आईआईटी दिल्ली से एक रिपोर्ट मांगी थी, जिसमें से एक सवाल को ही सही माना गया है, जिसे देखते हुए टॉपर्स की संख्या में गिरावट देखने को मिल सकती है. हालांकि, इसका असर रैंकिंग पर भी देखने को मिलेगा.“

उधर, कोर्ट के फैसले पर अधिवक्ता तन्वी दुबे ने से कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि अब दोबारा से नीट के एग्जाम नहीं होंगे. कई छात्रों ने इस संबंध में याचिका दाखिल कर दोबारा से एग्जाम कराने की मांग की थी. जिसे देखते हुए आज कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के भी कई छात्रों ने नीट का एग्जाम दिया था. अगर हम दोबारा से एग्जाम कराने का आदेश देते हैं, तो इससे उन पर आर्थिक बोझ पड़ेगा.”

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