बीपीएससी परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर आंदोलनरत अभ्यर्थियों से तेजस्वी के मिलने पर भड़के छात्र नेता

पटना, 22 दिसंबर . बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70वीं पीटी परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर पटना के गर्दनीबाग धरनास्थल पर बैठे अभ्यर्थियों से शनिवार को विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मुलाकात करके समर्थन देने की घोषणा की थी. इस प्रदर्शन के राजनीतिकरण करने से छात्र नेता नाराज हो गए हैं.

छात्र नेता दिलीप कुमार ने से बातचीत के दौरान कहा कि जो भी पार्टी विपक्ष में रहती है, उस पार्टी के नेता हो रहे आंदोलन के साथ चले जाते हैं. वह समर्थन देने का दिखावा करते हैं. लेकिन, जब सरकार में आते हैं, तो चुप्पी साध लेते हैं, लाठीचार्ज करवाते हैं. वे चाहे किसी भी पार्टी के नेता हों.

उन्होंने कहा, “आज विजय सिन्हा और सम्राट चौधरी सरकार में हैं, तो आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज होता है. जब ये विपक्ष में थे तो आंदोलन का समर्थन करने चले आते थे, आज वही काम तेजस्वी यादव भी कर रहे हैं. जब तेजस्वी यादव 17 महीने सरकार में थे तब भी सिपाही भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हुआ, बीएसएससी सीजीएल का पेपर लीक हुआ, फूड कॉरपोरेशन का पेपर लीक हुआ था, उस समय चुप्पी साधे हुए थे. आज जब वे विपक्ष में हैं तो समर्थन दे रहे हैं. अभ्यर्थियों के साथ रहने के लिए बोल रहे हैं.”

छात्र नेता दिलीप कुमार ने राजद नेता तेजस्वी यादव पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा कि आज वे कह रहे हैं कि 17 महीने की हमारी सरकार में कोई पेपर लीक नहीं हुआ. वह झूठ बोल रहे हैं. हमने तो डेट के साथ बता दिया. एक अक्टूबर 2023 को सिपाही भर्ती का पेपर, 23 दिसंबर 2022 को बीएसएससी सीजीएल का पेपर लीक हुआ. शिक्षा माफिया पर कार्रवाई नहीं हुई. बिहार में किसी गठबंधन की सरकार हो, बड़े-बड़े शिक्षा माफियाओं को संरक्षण मिलता रहा है. यह कोई नई बात नहीं है.

उन्होंने कहा कि मेरा सिद्धांत रहा है कि हम कभी भी आंदोलन करते हैं तो किसी भी पार्टी के नेता को, शिक्षक को नहीं आने देते हैं. लेकिन, गर्दनीबाग में जो आंदोलन चल रहा है, एक टेलीग्राम ग्रुप से अभ्यर्थियों ने शुरू किया. उसमें अब शिक्षक लोग घुस गए. नेता लोग घुस गए. आंदोलन को पूरा राजनीतिकरण कर दिया गया. हम उस मंच पर नहीं रह सकते हैं, जहां से राजनीतिकरण हो रहा है. हम आंदोलन के साथ हैं. बीपीएससी की पीटी परीक्षा रद्द हो और फिर से परीक्षा ली जाए. बीपीएससी चेयरमैन को हटाया जाए और पूरे मामले की आर्थिक अपराध इकाई या सीबीआई से जांच हो.

एमएनपी/एबीएम