पटना, 8 फरवरी . बिहार में नीतीश कुमार की बनी एनडीए की सरकार को विधानसभा में 12 फरवरी को बहुमत साबित करना है. इससे पहले प्रदेश की सियासत में सरगर्मी बढ़ गई है. विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने इस्तीफा से इनकार कर इसे और हवा दे दी है.
दरअसल, राजद नेतृत्व वाले महागठबंधन सरकार में विधानसभा अध्यक्ष चुने गए अवध बिहारी चौधरी के इस्तीफा नहीं देने के बाद भाजपा ने अविश्वास प्रस्ताव भेजा है. उन्होंने साफ लहजे में कहा कि जो नियमावली है उसके तहत काम करूंगा.
इधर, विधानसभा उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष को स्वयं इस्तीफा दे देना चाहिए. उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. नैतिकता के आधार पर उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.
वे यह भी कहते हैं कि जिस तरह पूर्व अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने अपना भाषण देकर इस्तीफा दे दिया था, यह भी उसी तरह सदन में अपना संबोधन कर इस्तीफा दे देंगे. उन्होंने साफ कहा कि चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव है, इस कारण मतदान के समय में वे आसन पर नहीं बैठ सकते हैं.
इधर, फ्लोर टेस्ट को लेकर सत्ता और विपक्ष अपनी तैयारी में जुटा है. 11 फरवरी को जदयू ने विधानमंडल दल की बैठक बुलाई है. इस बैठक में पार्टी के सभी विधायकों को अनिवार्य रूप से शामिल होने के निर्देश दिए गए हैं.
भाजपा के विधायकों की भी बैठक हुई है जिसमें उन्हें पटना में बने रहने के लिए कहा गया है.
कांग्रेस ने अपने अधिकांश विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट कर दिया है.
इस बीच, बयानबाजी का दौर भी जारी है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह जहां जदयू के 10 विधायकों के संपर्क में होने का दावा कर रहे हैं, वहीं उन्होंने कहा कि अगर किसी को तोड़ने का प्रयास होगा तो सामने वाला खामोश नहीं बैठेगा.
कांग्रेस नेता ने कहा कि विधानसभा के सदन में जब फ्लोर टेस्ट होगा, तब साबित होगा कि कौन किसके संपर्क में हैं.
भाजपा के नेता कहते रहे हैं कि कांग्रेस के कई नेता उनके संपर्क में हैं. बहरहाल, बिहार की राजनीति दिलचस्प मोड़ पर नजर आ रही है. आंकड़ों के हिसाब से सत्ता पक्ष पूरी तरह मजबूत है, लेकिन सही आंकड़े का पता 12 फरवरी को ही पता चलेगा, जब मतदान होगा.
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एमएनपी/