सशक्त समाज : मुद्रा लोन ने बदली जिंदगी, पति-पत्नी दे रहे आत्मनिर्भरता का संदेश

बलरामपुर, 18 अप्रैल . छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के रामानुजगंज निवासी अभय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना से अपना व्यवसाय शुरू किया. इस व्यवसाय ने उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बदल कर रख दी.

अभय पेशे से एक शिक्षक हैं. मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले अभय को अपनी पत्नी, एक बेटी और बेटे की पढ़ाई और घर खर्च चलाने में हमेशा संघर्ष करना पड़ता था. सोशल मीडिया पर एक वीडियो से प्रेरित होकर अभय को चप्पल निर्माण का व्यवसाय शुरू करने का विचार आया. उन्होंने 50 हजार रुपए की जमा पूंजी से व्यवसाय शुरू किया. शुरुआत में संसाधनों और मैनपावर की कमी के कारण कई समस्याएं सामने आईं, लेकिन तभी किसी परिचित से उन्हें प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की जानकारी मिली.

इसके बाद अभय सिंह ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से 5.50 लाख रुपए का मुद्रा लोन प्राप्त कर दिल्ली से चप्पल निर्माण की मशीनें और कच्चा माल मंगवाया. उन्होंने अपने ही घर में एक छोटी फैक्ट्री स्थापित की और धीरे-धीरे व्यवसाय को बढ़ाया.

एक जोड़ी चप्पल बनने में लगभग 16 मिनट लगते हैं. सबसे पहले शीट से लोहे की नाप को रखकर कटिंग मशीन से कटाई होती है. उसके बाद ग्राइंडर मशीन की मदद से फिनिशिंग दी जाती है, फिर चप्पल के ऊपर प्रिंटिंग मशीन की सहायता से उस पर आकृति बनाई जाती है और चप्पल को अंतिम रूप देते हुए स्ट्रिप फिटिंग मशीन की मदद से चप्पल पर स्ट्रिप लगाए जाते हैं. इसके बाद चप्पल को डिब्बे में पैक कर नजदीकी दुकानों में उपलब्ध करवाया जाता है.

समाचार एजेंसी को अभय सिंह बताते हैं कि उनके द्वारा बनाई गई एक जोड़ी चप्पल को तैयार करने में लगभग 16 मिनट लगते हैं. इस प्रक्रिया में शीट कटिंग, फिनिशिंग, प्रिंटिंग और स्ट्रिप फिटिंग जैसे चरण शामिल हैं. चप्पलों को स्थानीय दुकानों में बेचा जाता है. बच्चों की चप्पल बनाने में 22-25 रुपए की लागत आती है, जबकि बड़ों के लिए यह लागत 55-60 रुपये तक पहुंचती है. एक जोड़ी चप्पल पर उन्हें 10-15 रुपये का मुनाफा हो जाता है. आज उनके परिवार की दैनिक आय लगभग 1 हजार रुपए तक पहुंच गई है.

उन्होंने आगे कहा, “जैसे-जैसे सेल बढ़ेगी, वैसे-वैसे एम्प्लॉई भी रखेंगे. अभी मैं स्कूल और बिजनेस दोनों को समय दे रहा हूं. मेरा फोकस क्वालिटी और किफायती कीमतों पर है. फिलहाल दिल्ली से कच्चा माल मंगवा रहा हूं, लेकिन जल्द ही रायपुर से भी रॉ मटेरियल मिलने की संभावना है, जिससे प्रोडक्शन कॉस्ट और कम हो जाएगी. सालाना कमाई 4-5 लाख रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है.”

इस व्यवसाय में अभय की पत्नी प्रियांशी भी अहम भूमिका निभा रही हैं. अभय मार्केटिंग और बिक्री पर ध्यान देते हैं तो पत्नी चप्पल निर्माण में हाथ बंटाती हैं.

प्रियांशी ने बताया कि मध्यम वर्गीय परिवार में एक प्राइवेट नौकरी से घर का खर्च चलाना बहुत मुश्किल होता है. खासकर जब घर में कमाने वाला एक और खाने वाले चार हों, तो परेशानी और बढ़ जाती है, लेकिन इस व्यवसाय ने मेरे लिए एक नई उम्मीद जगाई है. अब एक महीने की कमाई 35-40 हजार रुपये है, जिससे घर चलाने में काफी मदद मिल रही है. धीरे-धीरे बिक्री बढ़ रही है और अब कर्मचारी रखना जरूरी हो गया है. मैं इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी जी को धन्यवाद देती हूं. मोदी जी ने मेरी जिंदगी बदल दी है. पहले बेटे और बेटी के प्राइवेट स्कूल का खर्च निकालना मुश्किल था, लेकिन अब सब कुछ ठीक चल रहा है.

पीएसके/केआर