चेन्नई, 13 अप्रैल . तमिलनाडु स्वास्थ्य विभाग ने राज्य भर में अवैध भ्रूण लिंग जांच केंद्रों पर सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है. हाल के दिनों में भ्रूण की पहचान कर गर्भपात कराने की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिससे लड़का-लड़की के अनुपात में असंतुलन पैदा हो रहा है.
इससे निपटने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य और निवारक चिकित्सा निदेशालय ने हाल ही में सभी जिला स्वास्थ्य अधिकारियों (डीएचओ) को एक पत्र भेजा है. इस पत्र में उन्हें हर महीने कम से कम तीन स्कैन सेंटरों पर अचानक जाकर जांच करने का आदेश दिया गया है. इसका मकसद गर्भधारण से पहले और गर्भावस्था के दौरान लिंग जांच पर रोक लगाने वाले पीसीपीएनडीटी कानून को और सख्ती से लागू करना है.
यह आदेश अप्रैल के पहले हफ्ते में जारी किया गया था. इसमें यह भी कहा गया है कि जिला स्वास्थ्य अधिकारी, संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य सेवा (जेडीएचएस) के साथ मिलकर अपने स्वास्थ्य इकाई जिलों (एचयूडी) में सभी स्कैन केंद्रों का दौरा करें और हर महीने की 6 तारीख तक निदेशालय को विस्तृत निरीक्षण रिपोर्ट भेजें.
जनस्वास्थ्य निदेशक डॉ. टी. एस. सेल्वविनायगम ने बताया, “पिछले कुछ दिनों में राज्य के कई इलाकों से कन्या भ्रूण की पहचान करके गर्भपात कराने की घटनाएं सामने आई हैं. इसलिए जरूरी है कि डीएचओ हर महीने तीन स्कैन केंद्रों की अचानक जांच करें.”
हालांकि, जमीनी स्तर पर काम कर रहे अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई तब ही प्रभावी हो सकती है जब डीएचओ को पूरा अधिकार दिया जाए. मौजूदा नियमों के अनुसार, डीएचओ को आधिकारिक रूप से जिला या उप-जिला स्तर की सलाहकार समितियों में शामिल नहीं किया गया है, जिससे उनके काम पर असर पड़ता है.
यह नया सर्कुलर उस बड़ी कार्रवाई के बाद आया है, जो 26 फरवरी 2025 को की गई थी. उस दिन स्वास्थ्य विभाग और पुलिस ने मिलकर सलेम और कृष्णगिरि जिलों में चल रहे एक अवैध लिंग जांच गिरोह का भंडाफोड़ किया था.
इस गिरोह में शामिल छह लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें एक सरकारी डॉक्टर और एक नर्स भी थीं. यह कार्रवाई कृष्णगिरि के जिलाधिकारी एस. दिनेश कुमार को मिली गुप्त जानकारी के आधार पर की गई थी. इसके लिए एक विशेष टीम बनाई गई. टीम द्वारा जब यह साबित हो गया कि वहां लिंग जांच हो रही है, तब अधिकारियों ने डॉक्टर, नर्स और चार अन्य को गिरफ्तार कर लिया. मौके से भ्रूण की लिंग जांच में इस्तेमाल होने वाली अल्ट्रासाउंड मशीन भी जब्त की गई.
जांच में पता चला कि डॉक्टर एक प्रक्रिया के लिए 15,000 रुपये लेते थे. उन सभी छह लोगों को जेल भेज दिया गया है. हालांकि 1994 के पीसीपीएनडीटी कानून में बहुत सख्त नियम हैं, फिर भी इसे लागू करना मुश्किल बना हुआ है. नियमों को तोड़ने पर 10,000 से 50,000 रुपये तक का जुर्माना और पांच साल तक की जेल हो सकती है.
जानकारों का कहना है कि ऐसी लगातार गैरकानूनी हरकतें बेटों को अधिक पसंद करने वाली गहरी सामाजिक सोच को दिखाती हैं, जिससे लड़कियों की संख्या घट रही है और समाज पर लंबे समय तक बुरे असर पड़ रहे हैं.
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