पीएम मोदी के बचपन से जुड़ी कहानी को कॉमिक बुक में मिली जगह

नई दिल्ली, 16 सितंबर . हर कोई नरेंद्र मोदी नहीं बन सकता. तपस्या, त्याग, बलिदान, किसी काम के प्रति समर्पण और एक विचार बाल अवस्था से रखना, ये किसी विशेष इंसान के अलावा कोई नहीं कर सकता. उनके बारे में कई किस्से हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि आखिर कैसे एक शख्स ने देश के विकास की एक नई गाथा लिख डाली.

पीएम मोदी का युवा कार्यकर्ता से लेकर मुख्यमंत्री और अब तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने तक का सफर तो सबने देखा, लेकिन उन्होंने जो काम बचपन में किया, उसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता है.

17 सितंबर 2024 को पीएम मोदी का जन्मदिन है. इस आर्टिकल में हम उनके बचपन पर लिखी किताब ‘बाल नरेंद्र’ में छपी एक रोमांचक कहानी को बता रहे हैं.

दरअसल, पीएम मोदी के बारे में कहा जाता है कि वह छोटी उम्र से ही बहुत प्रतिभावान रहे हैं. वह तैराकी के बहुत बड़े शौकीन हैं. इसी से संबंधित एक कहानी का ‘बाल नरेंद्र’ में जिक्र है. बचपन से ही गुणी रहे नरेंद्र दामोदर दास मोदी का एक किस्सा बहुत ही शानदार है. जब वह बचपन में अपने दोस्तों के साथ शर्मिष्ठा सरोवर में नहाने गए थे, तब वहां उन्हें मगरमच्छ का एक बच्चा दिखाई दिया. हैरानी की बात यह है कि वे सरोवर से मगरमच्छ के बच्चे को पकड़कर घर लेकर आ गए.

बालक मोदी जब मगरमच्छ के बच्चे को घर लेकर आए, तब उनकी मां हीरा बा ने नरेंद्र को समझाया और कहा कि मां से बच्चे को अलग कर देना बहुत गलत बात है. मां हीरा बा के समझाने पर बाल मोदी मगरमच्छ के बच्चे को वापस सरोवर में छोड़ आए.

उनके बचपन की वीरगाथाओं का यह कॉमिक बुक छोटे बच्चों के लिए एक किताब है. यह पूरी तरह से सच होने का दावा नहीं करता है. ये बस युवाओं को नरेंद्र मोदी जैसा बनने के लिए प्रेरित करने का प्रयास है. दिलचस्प बात यह है कि ये किताब 2014 में मार्केट में आ गई थी, लेकिन किसने लिखी इस बारे में कोई जानकारी नहीं, और यह काफी कम मात्रा में छपी थी.

इस कॉमिक बुक में नरेंद्र मोदी को डूबते लड़के को बचाते हुए, मगरमच्छों से भरे पानी में तैरते हुए, 1962 में युद्ध में जाने वाले सैनिकों को चाय और खाना परोसते हुए, स्कूल के बदमाशों से भिड़ते हुए, अपने पिता की चाय बेचने में मदद करते हुए, थिएटर में अभिनय और कबड्डी खेलते हुए और एक फंसी हुई चिड़िया को बचाते हुए दिखाया गया है. इन सब से परे पीएम को किताबें पढ़ने का शौकीन भी दिखाया गया.

ये सभी कहानी अपने आप में ही पीएम मोदी की हिम्मत, क्षमता और आत्मविश्वास का उदाहरण पेश करती हैं. उम्र के इस पड़ाव पर भी उनके चेहरे पर वही चमक और बुलंद आवाज बेहद खास है.

एएमजे/