शिमला, 4 अगस्त . हिमाचल-प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री यशवंत सिंह परमार की आज 118 वीं जयंती है. इस मौके पर विधानसभा में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया समेत मंत्रिमंडल के अन्य सदस्य मौजूद रहे.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल के निर्माता डॉ. यशवंत सिंह परमार की जयंती हम हर साल मनाते हैं. उनका विजन था कि हिमाचल आत्मनिर्भर और समृद्धशाली प्रदेश बने. हमारी सरकार में अब तक दो बजट पेश किए गए हैं. दोनों ही बजट में आपको आत्मनिर्भर हिमाचल की झलक नजर आएगी.
उन्होंने कहा कि हम व्यवस्था परिवर्तन की दौर से गुजर रहे हैं. हमने 18 महीने में सभी विभागों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं. मेरा मानना है कि हम नई व्यवस्था के साथ भविष्य का हिमाचल कैसा हो उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. उसमें सुधार आना शुरू हुआ है. पहले अधिकारियों और कर्मचारियों को ऐसा प्रतीत होता था कि ये सुधार नहीं हो सकते.
मगर हमने फैसले किए और लेकिन फैसले करने के बावजूद जब हम आगे बढ़ने की सोचते हैं, तो चुनौतियां जरूर सामने आती हैं. लेकिन हम जनता के सहयोग और आशीर्वाद से आगे बढ़ सकते हैं. 2027 आत्मनिर्भर हिमाचल की नींव पड़ चुकी है. इसमें आप सब का सहयोग चाहिए. मेरा मानना है कि हमें सभी प्रकार के सुधार की जरूरत है और हम वो करने जा रहे हैं.
राज्य में पहले की सरकार पर हमला करते हुए सीएम ने कहा कि ”शिक्षा के क्षेत्र में गिरावट आ गई थी. हमने इसे लेकर अहम फैसले लिए हैं. हम खुद सरकारी स्कूल में पढ़े हैं. उस समय शिक्षा का स्तर था, उसमें गुणवत्ता थी. एक डर होता था, लेकिन अब हम शिक्षा की गुणवत्ता के मामले में पूरे देश में 18वें स्थान पर पहुंच गए हैं. आखिर इसका क्या कारण रहा है ? क्या कभी यह सोचा गया कि स्कूल में शिक्षकों की संख्या कितनी होनी चाहिए. कितने स्कूलों में टीचर नहीं है, कितने स्कूलों में सिर्फ एक टीचर हैं.
उन्होंने कहा कि हमे कुछ स्कूल बंद करने पड़ रहे हैं. शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए हम आगे भी ऐसे फैसले लेंगे. हम चाहते हैं कि अच्छी शिक्षा हर एक बच्चे तक पहुंचे. हमें इसके लिए एक बच्चे पर 25 हजार रुपए भी खर्च करना पड़े, तो हम करेंगे. हम बच्चे को स्कूल से वंचित नहीं करेंगे. गुणात्मक शिक्षा के लिए कदम उठाना बेहद जरूरी है.
सीएम ने कहा कि प्राइवेट कॉलेज और यूनिवर्सिटी की भी रैंकिंग होनी चाहिए, उस रैंकिंग के आधार पर छात्र को यह पता लगेगा कि मैं यहां इतना खर्च कर रहा हूं, तो मुझे भविष्य में क्या मिलेगा. हम इन सब क्षेत्रों में सुधार कर रहे हैं, अगले 6 महीने में राज्य में बहुत बड़े परिवर्तन होंगे.
बता दें कि डॉ. यशवंत सिंह परमार का जन्म 4 अगस्त, 1906 को हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के चन्हालग गांव में हुआ था. वो हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री थे. उन्हें राज्य के अधिकारों के संरक्षण के योगदान के लिए याद किया जाता है.
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