रांची, 2 दिसंबर . झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य की आदिम जनजाति ‘पहाड़िया’ समुदाय की कमजोर सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर चिंता जताते हुए सीएम हेमंत सोरेन को इनके लिए विशेष समिति और कार्य योजना बनाने का सुझाव दिया है.
मरांडी ने कहा है कि झारखंड की आदिम जनजातियों में से एक पहाड़िया समाज के लोग विकास की मुख्यधारा से कोसों दूर है. इनके गांवों तक आवागमन के लिए न तो सड़कों की उचित पहुंच है और न ही इन्हें स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल पाता है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और पीने का पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं का भी घोर अभाव है. कुपोषण, एनीमिया, मलेरिया जैसी गंभीर बीमारियां इनके जीवन का हिस्सा बन चुकी हैं.
भाजपा नेता ने कहा कि पहाड़िया समाज के उत्थान के लिए बनाई गई योजनाओं का लाभ भी अधिकतर बिचौलिए हड़प लेते हैं. पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार दौरे में उन्होंने पाया है कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी वे जिन परिस्थितियों में जीवन व्यतीत कर रहे हैं, वह राज्य के लिए चिंताजनक है.
उन्होंने मुख्यमंत्री से इस जनजाति के समग्र उत्थान के लिए एक विशेष समिति का गठन करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि इस समिति द्वारा पहाड़िया जनजाति बहुल इलाकों का व्यापक सर्वेक्षण कराया जाए और इसके बाद उसकी सिफारिशों के आधार पर एक वर्ष की ठोस कार्ययोजना तैयार की जाए, ताकि उनकी समस्याओं का स्थायी समाधान किया जा सके.
मरांडी ने सीएम को दिए अपने सुझाव सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी साझा किए हैं. उन्होंने उम्मीद जताई है कि इस महत्वपूर्ण विषय पर अगले कैबिनेट में मुख्यमंत्री विशेष समिति बनाने का निर्णय लेंगे. पहाड़िया जनजाति की 99 प्रतिशत आबादी झारखंड के संथाल परगना इलाके में रहती है. 2011 की जनगणना के अनुसार, इनकी आबादी 51,634 थी.
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एसएनसी/एबीएम