चेन्नई, 9 जनवरी . तमिलनाडु के कराईकल से दस भारतीय मछुआरों को गुरुवार तड़के श्रीलंकाई नौसेना ने गिरफ्तार कर लिया. नौसेना ने मछुआरों की नाव भी जब्त कर ली है.
मछुआरों को आगे की पूछताछ और जांच के लिए श्रीलंकाई नौसेना के कांकेसंथुराई शिविर में ले जाया गया है.
16 जून 2024 से अब तक श्रीलंकाई नौसेना ने कथित तौर पर तमिलनाडु के 425 मछुआरों को गिरफ्तार किया है और 58 महंगी मशीनीकृत नौकाओं को जब्त किया है. इनमें से अनेक मछुआरे अभी भी श्रीलंका की जेलों में बंद हैं. इन्हें रिहा कराने की मांग को लेकर व्यापक विरोध प्रदर्शन भी किए जा रहे हैं, तथा सरकार से हस्तक्षेप की मांग की जा रही है.
हाल ही में श्रीलंका की यात्रा के दौरान, केंद्रीय विदेश मंत्री ने श्रीलंका सरकार के समक्ष यह मुद्दा उठाया था. कहा था कि वह मछुआरों की गिरफ्तारियां तथा नाव जब्त करने की कार्रवाई को रोकें. हालांकि, इन चर्चाओं के बावजूद, गिरफ्तारियां जारी रहीं, जिससे मछुआरा समुदाय में भय बढ़ता गया.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर को लिखे पत्र में श्रीलंकाई नौसेना द्वारा हिरासत में लिए गए सभी भारतीय मछुआरों और उनकी मशीनीकृत नौकाओं की रिहाई के लिए तत्काल राजनयिक प्रयास करने का आग्रह किया.
24 दिसंबर को लिखे अपने पत्र में मुख्यमंत्री स्टालिन ने श्रीलंकाई नौसेना द्वारा गिरफ्तार किए गए 17 मछुआरों की रिहाई के लिए हस्तक्षेप की मांग की थी.
मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि लगातार गिरफ्तारियां और हमले तमिलनाडु के मछुआरों के जीवन को अनिश्चित और खतरनाक बना रहे हैं जो पूरी तरह से पारंपरिक जल में मछली पकड़ने पर निर्भर हैं.
उन्होंने चिंता व्यक्त की कि हाल की गिरफ्तारियों और हमलों से मछुआरा समुदाय में भय का माहौल पैदा हो गया है.
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय विदेश मंत्री से सभी गिरफ्तार मछुआरों और उनकी नौकाओं की तत्काल रिहाई सुनिश्चित करने के लिए ठोस कूटनीतिक कदम उठाने का आग्रह किया था.
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डीकेएम/केआर