New Delhi, 30 जुलाई . भारत की महिला टेबल टेनिस खिलाड़ी श्रीजा अकुला छोटी-सी उम्र में ही शानदार उपलब्धियां हासिल कर चुकी हैं.
31 जुलाई 1998 को हैदराबाद में जन्मीं श्रीजा अकुला को बचपन से ही टेबल टेनिस का शौक था. जब वह महज नौ साल की थीं, तब बशीर बाग स्थित सेंट पॉल्स अकादमी में उन्होंने इस खेल की बारीकियां सीखनी शुरू कीं. इसके बाद उन्होंने हैदराबाद के कुकटपल्ली स्थित कोच सोमनाथ घोष की अकादमी में टेबल टेनिस की ट्रेनिंग ली.
श्रीजा न सिर्फ खेल, बल्कि पढ़ाई में भी काफी होशियार थीं. उन्होंने इंटरमीडिएट में 98.7 प्रतिशत अंक हासिल किए.
श्रीजा ने 2019 साउथ एशियन गेम्स में दो गोल्ड मेडल अपने नाम किए. उन्होंने विमेंस डबल्स और विमेंस टीम इवेंट में खेलते हुए देश को मेडल जिताए. श्रीजा डब्ल्यूटीटी कंटेंडर में सिंगल्स वर्ग का खिताब जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं. उन्होंने फाइनल में चीन की डिंग यिजी को 4-1 से हराया.
इसके बाद श्रीजा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा; उन्होंने अप्रैल 2022 में आयोजित 83वीं सीनियर नेशनल एंड इंटर-स्टेट टेबल टेनिस चैंपियनशिप में खिताब जीते.
इसी साल कॉमनवेल्थ गेम्स के मिक्स्ड डबल्स इवेंट में जोड़ीदार अचंत शरत कमल के साथ गोल्ड मेडल जीता.
श्रीजा अकुला को उनके शानदार प्रदर्शन के लिए साल 2022 में ‘अर्जुन अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया.
जनवरी 2024 में इस पैडलर ने डब्ल्यूटीटी फीडर कॉर्पस क्रिस्टी में अपना पहला डब्ल्यूटीटी एकल करियर खिताब जीता. इसके बाद मार्च 2024 में डब्ल्यूटीटी फीडर बेरूत II में उनका दूसरा एकल करियर खिताब आया.
जून 2024 में डब्ल्यूटीटी कंटेंडर लागोस में, अकुला कंटेंडर स्तर पर खिताब जीतने वाली पहली भारतीय बनीं. इसी स्पर्धा में, उन्होंने अर्चना कामथ के साथ महिला युगल का खिताब भी जीत लिया.
श्रीजा अकुला 2024 पेरिस ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं, जहां उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए वर्ल्ड रैंकिंग में 22वां स्थान हासिल किया.
अगस्त 2024 में श्रीजा अकुला को स्ट्रेस फ्रैक्चर हो गया, जिसके चलते उन्हें कुछ हफ्ते इस खेल से दूर रहना पड़ा, लेकिन श्रीजा ने शानदार वापसी की और डब्ल्यूटीटी कंटेंडर लागोस-2025 के फाइनल में जगह बना ली. हालांकि, यहां होनोका हशीमोतो से मैच हारने के बाद वे एकल खिताब से चूक गईं.
श्रीजा अकुला दृढ़ संकल्प की मिसाल हैं. उनके शक्तिशाली आत्मविश्वास, तकनीकी सुधार, विनम्रता और लगातार सीखने की प्रवृत्ति ने उन्हें न केवल एक खिलाड़ी, बल्कि एक आइडल के रूप में भी स्थापित किया है.
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आरएसजी/एएस