काशी में माताओं के बीच जीवित्पुत्रिका व्रत का खास महत्व

वाराणसी, 25 सितंबर . प्राचीन धर्म नगरी काशी में जीवित्पुत्रिका व्रत पर महिलाएं उपवास रख रही हैं. यहां पर घाटों और पवित्र पोखरों के पास पूजा कर रही महिलाओं ने से खास बातचीत की.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में माताओं द्वारा अपने बच्चों की सुख समृद्धि और लंबी आयु के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत को बहुत धूम-धाम से मनाया जा रहा है. यहां पर पवित्र जलाशयों के पास महिलाओं के पूजा के लिए खास इंतजाम किया गया है.

से बात करते हुए व्रती महिला इंदु तिवारी ने बताया कि “आज जीवित्पुत्रिका व्रत है. इस दिन हम व्रत रखते हैं और गंगा नहाते हैं. इस दिन का बच्चों के लिए बहुत खास महत्व होता है. उन्होंने बताया कि ये 24 घंटों का व्रत होता है. हम सभी अगले दिन सुबह पारण करके अपना व्रत खोलेंगे.”

एक अन्य व्रती महिला निर्मला मिश्रा ने को बताया कि “जीवित्पुत्रिका व्रत का बहुत ही महत्व है. बच्चों के स्वास्थ्य, लंबी आयु और सौभाग्य के लिए व्रत किया जाता है. पूरे दिन हम लोग निर्जला व्रत रखते हैं और अगले दिन पारण करते हैं. पूजा के दौरान हम सभी महिलाएं कहानियां सुनती हैं, जिसमें महाभारत के समय से जुड़ी कहानियां भी हैं. खासतौर पर काशी में इस व्रत का बहुत महत्व है.”

बता दें कि काशी में हर वर्ष जीवित्पुत्रिका व्रत बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. यहां पर गंगा के घाटों, पवित्र जलाशयों और तालाबों के पास आस्था का बड़ा जनसैलाब देखने को मिलता है. महिलाएं अपने बच्चों के सुख-समृद्धि, लंबी आयु और स्वस्थ जीवन के लिए कठोर निर्जला व्रत रखती हैं. बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में माताओं के बीच जीवित्पुत्रिका व्रत का खास महत्व है. पितृ पक्ष में पड़ने वाले इस व्रत को महिलाएं श्रद्धापूर्वक करती हैं. ‘एक खास पौधे’ के अगल-बगल बैठकर भी कुछ महिलाएं कथा कहती हैं. जो, छोटी, रोचक और गहरा संदेश देती हैं.

मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान दीर्घायु होते हैं. निरोगी काया का आशीर्वाद प्राप्त होता है और भगवान संतान की सदैव रक्षा करते हैं. व्रत की शुरुआत नहाय खाय के साथ होता है और समापन पारण संग होता है.

एससीएच/जीकेटी