दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून ने मार्शल लॉ से जुड़े आरोपों को किया खारिज

सोल, 4 फरवरी . दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल ने अपने खिलाफ लगे विद्रोह और मार्शल लॉ लागू करने से जुड़े आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने दावा किया कि उनके आदेश के संबंध में वास्तव में कुछ नहीं हुआ और यह मामला सिर्फ अफवाहों पर आधारित है. उन्होंने यह बयान सियोल में संवैधानिक न्यायालय में अपने महाभियोग परीक्षण की पांचवीं औपचारिक सुनवाई के दौरान दिया.

राष्ट्रपति यून पर आरोप है कि उन्होंने सांसदों को मार्शल लॉ के खिलाफ मतदान करने से रोकने के लिए संसद में सैन्य टुकड़ियां भेजी थीं और प्रमुख राजनीतिक नेताओं को गिरफ्तार करने की योजना बनाई थी. इसी मामले को लेकर 3 दिसंबर को नेशनल असेंबली ने उनके महाभियोग पर मतदान किया था. यून को विद्रोह के आरोप में अभियोग का सामना करना पड़ा और उन्हें गिरफ्तार भी किया गया.

यून ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि वास्तव में कुछ भी नहीं हुआ, लेकिन फिर भी उनके खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह ऐसा ही है जैसे झील में चांद की परछाई को पकड़ने की कोशिश की जा रही हो. उन्होंने तर्क दिया कि संसद से सांसदों को जबरदस्ती बाहर निकालना संभव ही नहीं था, क्योंकि वहां हजारों नागरिक मौजूद रहते हैं. साथ ही, मार्शल लॉ हटाए जाने के बाद सैनिकों को वापस बुला लिया गया था.

सुनवाई के दौरान कैपिटल डिफेंस कमांड के पूर्व प्रमुख ली जिन-वू ने कहा कि उन्हें न तो राष्ट्रपति यून से और न ही तत्कालीन रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून से ऐसा कोई आदेश मिला था कि सांसदों को संसद से बाहर निकाल दिया जाए. हालांकि, इससे पहले ली ने अभियोजकों को बताया था कि यून ने उन्हें आदेश दिया था कि जरूरत पड़ने पर सैनिकों को संसद के अंदर भेजा जाए और वे सांसदों को बाहर निकालें. यहां तक कि उन्होंने यह भी कहा था कि अगर जरूरी हो तो सैनिक बंदूकें चला सकते हैं और दरवाजे तोड़ सकते हैं.

ली इस मामले में खुद आरोपी हैं और फिलहाल गिरफ्तार हैं. उन्हें नेशनल असेंबली की कानूनी टीम ने गवाह के रूप में बुलाया था. जब उनसे पूछा गया कि क्या संसद में सेना भेजने का आदेश कानूनी था, तो उन्होंने कहा कि यह मार्शल लॉ अधिनियम के अनुसार अभी भी वैध हो सकता है. हालांकि, उन्होंने आगे कोई गवाही देने से इनकार कर दिया.

ली ने कहा कि वह खुद एक आपराधिक मामले में फंसे हुए हैं और उनके खिलाफ अभियोजन की प्रक्रिया चल रही है. इसलिए, वे कोई ऐसा बयान नहीं देना चाहते जो उनके खिलाफ इस्तेमाल किया जा सके. उन्होंने यह भी कहा कि मामला गंभीर और महत्वपूर्ण है, लेकिन वे खुद को सीमित महसूस कर रहे हैं, इसलिए ज्यादा कुछ नहीं कह सकते.

इसके अलावा, रक्षा प्रतिवाद कमान के पूर्व प्रमुख यो इन-ह्युंग भी गवाह के रूप में अदालत में पेश हुए, लेकिन उन्होंने भी गवाही देने से इनकार कर दिया. यो पर आरोप है कि उन्हें विपक्षी नेता ली जे-म्यांग और तत्कालीन सत्तारूढ़ पार्टी के नेता हान डोंग-हून को गिरफ्तार करने और हिरासत में लेने का आदेश मिला था.

इस सुनवाई में राष्ट्रीय खुफिया सेवा के पूर्व प्रथम उप निदेशक हांग जंग-वोन भी शामिल हुए. उन्होंने बताया कि उन्हें राष्ट्रपति यून से फोन कॉल आया था, जिसमें उनसे कहा गया था कि “उन्हें घेरो और उनसे छुटकारा पाओ.” हालांकि, यून ने इन आरोपों से इनकार किया और अपने कार्यों का बचाव करते हुए कहा कि यह विपक्षी पार्टी के लिए सिर्फ एक “चेतावनी” थी. उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने किसी राजनेता की गिरफ्तारी का आदेश नहीं दिया था.

इस पूरे मामले में राष्ट्रपति यून खुद को निर्दोष बता रहे हैं, लेकिन उनके खिलाफ कई आरोप लगे हैं. संसदीय दल उनके महाभियोग को बरकरार रखने या खारिज करने के मामले में अभियोजन पक्ष की भूमिका निभा रहा है. अब अदालत यह तय करेगी कि यून के खिलाफ लगे आरोप कितने गंभीर हैं और क्या उनके महाभियोग को आगे बढ़ाया जाएगा.

पीएसएम/