सियोल, 7 सितंबर . दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापानी सैनिकों द्वारा यौन शोषण का दंश झेलने वाली दक्षिण कोरिया की एक महिला की मौत हो गई है.
शनिवार को एक नागरिक समूह ने यौन शोषण से पीड़ित महिला की मौत की पुष्टि की. उन्होंने बताया कि जापानी सैनिकों द्वारा यौन शोषण की शिकार महिलाओं में सिर्फ आठ बची हैं. कोरियाई परिषद ने उनकी पहचान बताए बिना कहा कि महिला की मौत हाल ही में हुई है.
समाचार एजेंसी योनहाप ने बताया कि 18 साल की उम्र में दिवंगत पीड़िता अपने एक दोस्त के साथ एक सिलाई कारखाने में काम की तलाश के लिए चीन गई थी, लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापानी सैनिकों ने उसे बंधक बना लिया और उसका यौन शोषण किया. उस दौरान कोरिया पर जापान का शासन था.
1945 में दक्षिण कोरिया के आजाद होने के बाद भी वह अपने घर वापस नहीं लौटी. महिला 2000 की शुरुआत में वापस अपने घर आई और परिवार से मिल पाई.
उन्होंने जिंदा रहते हुए जापान की युद्धकालीन यौन गुलामी के बारे में बताया और इससे संबंधित मुद्दों को सुलझाने के लिए काम किया. उनकी मौत के बाद सिर्फ आठ पीड़िताएं ही बची हैं, जो दूसरे विश्व युद्ध में यौन शोषण का शिकार हुई थीं.
इतिहासकारों का अनुमान है कि दो लाख महिलाओं को युद्ध के दौरान जापानी सैनिकों के लिए संचालित वेश्यालयों में काम करने के लिए मजबूर किया गया था. इनमें से अधिकांश महिलाओं का संबंध कोरिया से था.
यौन शोषण से पीड़ित 16 महिलाओं ने हर्जाने के संबंध में निचली अदालत में एक याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. हालांकि, पिछले साल सियोल हाई कोर्ट ने 16 महिलाओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए निचली अदालत के फैसले को पलट दिया था. उन्होंने जापान को मुआवजे का भुगतान करने का आदेश दिया था.
इस फैसले के खिलाफ जापान ने अपील नहीं की थी. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि मुआवजे का भुगतान किया जाएगा या नहीं.
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