कभी-कभी मोहन भागवत अच्छा बयान दे देते हैं : माजिद मेमन

मुंबई, 20 दिसंबर . शरद पवार गुट के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद माजिद मेमन ने कहा कि कभी-कभी मोहन भागवत अच्छे बयान दे देते हैं. लेकिन, अफसोस की बात है कि उस पर अमल नहीं किया जाता है.

दरअसल, मोहन भागवत ने कहा था कि कुछ लोग हिंदुओं के नेता बनने की कोशिश कर रहे हैं और यही वजह है कि मंदिर-मस्जिद जैसे विवादों को हवा देने की कोशिश कर रहे हैं.

माजिद मेमन ने से कहा, “हम उनके बयान का स्वागत करते हैं. देश में नफरत फैलाने के लिए हिंदुओं के नेता बनने वाले लोगों का उन्होंने नाम नहीं लिया है. लेकिन, कुछ लोग हैं, जो हिंदुओं का नेता बनने की कोशिश करने के मकसद से इस तरह का विवादास्पद बयान दे रहे हैं और इस पर मोहन भागवत का रुख बिल्कुल सही है. उनके इस बयान का हम स्वागत करते हैं. लेकिन, यह भी जरूरी है कि इस पर सिर्फ बयानबाजी न हो, बल्कि वास्तविकता में इसे लागू किया जाए.”

उन्होंने आगे कहा, “भागवत जी का यह कहना कि हिंदुत्व का प्रचार करके जो लोग खुद को हिंदुओं का नेता बनाना चाहते हैं, उनके खिलाफ कोई ठोस कदम उठाया जाए, यह भी सराहनीय है.”

उन्होंने कहा, “ऐसे लोग समाज में नफरत फैलाकर अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने की कोशिश करते हैं, जो अंत में समाज के लिए नुकसानदेह होता है. धार्मिक विवादों को उठाने से हमें बचना चाहिए, और हमें संविधान के तहत सभी धर्मों के समान अधिकार का सम्मान करना चाहिए. उनका यह बयान सकारात्मक दिशा में है, लेकिन सवाल यह है कि इस पर कितना अमल हो रहा है?”

उन्होंने कहा, “जब भागवत जी यह कहते हैं कि देश को एकजुट रहने की जरूरत है, तो यह एक अच्छा विचार है. लेकिन, इस पर अमल करने के लिए सरकार को पहले अपने नेताओं को समझाना होगा. अगर प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्रियों की नीतियों में असमानता है, तो यह संदेश समाज में गलत तरीके से जाएगा. उदाहरण के तौर पर, अगर मुसलमानों के खिलाफ कुछ साजिशें चल रही हैं, उनके घरों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं, या मस्जिदों और वक्फ संपत्तियों पर हमले हो रहे हैं, तो इसका विरोध करने की बजाय इसे बढ़ावा देना समाज के लिए हानिकारक होगा. अगर भागवत जी सच में यह चाहते हैं कि देश एकजुट रहे, तो उन्हें यह संदेश अपने नेताओं तक भी पहुंचाना चाहिए कि वे इस तरह की गतिविधियों को न बढ़ने दें. जब तक सरकार और आरएसएस अपने ही नेताओं को सही दिशा में नहीं ले जाती, तब तक उनके बयान सिर्फ दिखावा बनकर रह जाएंगे.”

इसके अलावा, उन्होंने गुरुवार को संसद में हुई धक्का मुक्की पर कहा, “दिल्ली में कल जो कुछ हुआ, वह बेहद शर्मनाक था. संसद में सांसदों के बीच धक्का-मुक्की और मार-पीट की घटनाएं सामने आई हैं. सांसदों को देश का प्रतिनिधि माना जाता है, और उन्हें अनुशासन में रहकर काम करना चाहिए. संसद में बहस हो सकती है, लेकिन वहां हिंसा की कोई जगह नहीं होनी चाहिए. इसका विरोध सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होकर करना चाहिए. स्पीकर और राज्यसभा के चेयरमैन को इस पर सख्त कदम उठाना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटनाओं को भविष्य में रोका जाए.”

एसएचके/केआर