कभी बहन, तो कभी मां और दादी के किरदार में फरीदा जलाल ने बनायी लोगों के दिलों में जगह

मुंबई, 2 मई . मशहूर एक्ट्रेस फरीदा जलाल ने पर्दे पर हीरो की बहन, मां और दादी जैसे कई किरदार निभाए हैं. फरीदा ने 17 साल की उम्र में फिल्म ‘तकदीर’ से अपना सफर शुरू किया. सूरज बड़जात्या के दादा ताराचंद बड़जात्या ने उन्हें रोल ऑफर किया था.

कैसे उन्हें उनकी पहली भूमिका की पेशकश की गई, इसकी अपनी एक कहानी है, कुछ ऐसा जो शायद ही कलाकारों के साथ होता है. वह यूनाइटेड फिल्म प्रोड्यूसर्स टैलेंट हंट का हिस्सा थीं, जिसे उन्होंने जीता, जहां उनके को-फाइनलिस्ट हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना थे.

जब काका और फरीदा को विजेता का ताज पहनाया जा रहा था, तब ताराचंद दर्शकों के बीच बैठे थे. यही वह समय था जब ताराचंद ने उन्हें अपनी फिल्म में गीता की भूमिका की पेशकश की.

फरीदा ने सिनेमा में कई किरदार निभाए हैं, लेकिन उनके टाइपकास्ट होने का पहला फेज तब शुरू हुआ जब उन्हें ‘गोपी’ में दिलीप कुमार की बहन की भूमिका की पेशकश की गई.

एक्ट्रेस ने पहले इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने फिल्म में दिलीप कुमार की बहन की भूमिका निभाने का मौका इसलिए छोड़ दिया क्योंकि वह अभिनेता से प्यार करती थीं. इसके बाद उन्हें हीरो की बहन की कई भूमिकाएं मिलीं, जिसमें उन्होंने धर्मेंद्र, जीतेंद्र, मनोज कुमार, संजीव कुमार और अमिताभ बच्चन जैसे कलाकारों के साथ काम किया.

1990 के दशक में एक्ट्रेस ने मां के किरदार निभाने शुरू कर दिए. हिंदी सिनेमा की ऐतिहासिक फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’, ‘कुछ कुछ होता है’, ‘बिच्छू’ जैसी फिल्मों में उनके रोल्स को याद किया जाता है.

एक्ट्रेस प्रतिष्ठित भारतीय सिटकॉम ‘देख भाई देख’ और ड्रामा शो ‘बालिका वधू’ का हिस्सा रही हैं.

हाल ही में उन्हें संजय लीला भंसाली की ओटीटी डेब्यू ‘हीरामंडी: द डायमंड बाजार’ में कुदसिया बेगम की भूमिका निभाते हुए देखा गया है, जो ताहा शाह बादुशा के ताजदार, नवाब के किरदार की दादी हैं.

उनका 57 साल का करियर उनकी प्रतिभा का प्रमाण है. उनकी हर एक परफॉर्मेंस शानदार रही है, जिसे लोग हमेशा याद रखते हैं.

पीके/